अयोध्या में 22 जनवरी का दिन ऐतिहासिक होने जा रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूरा देश सांसे थाम कर दिन गिन रहा है। इस दिन संतों का समागम और अति विशिष्ठ से विशिष्ठ तक सभी एकजुट होने वाले हैं। जैसे-जैसे 22 जनवरी की तारीख आ रही है, वैसे-वैसे लोगों के दिलोदिमाग में सामाजिक सौहार्द और भाईचारे के भाव उमड़ रहे हैं। पांच साल के राम लला की छवि कैसी होगी। इसकी कल्पना मात्र से लोग अभिभूत हैं। सिर्फ हिन्दू समाज ही नहीं वरन मुस्लिम महिलाएं भी रामलला के प्रण प्रतिष्ठा को लेकर काफी उत्साहित हैं। यही वजह है कि ‘तीन तलाक’ की पीड़ित महिलाएं भी राम लला के दर्शन करेंगी और अपने हाथ से बनाए हुए वस्उत्न्हेंर भी भेंट करेंगीं।
मुस्लिम महिलाएं पैसे का इंतजाम चंदा जुटाकर कर चुकी हैं। भगवान राम लला के वस्त्र मोतियों से जड़े हैं। उनमें खास कारीगरी की गई है। अपने मकसद को पूरा करने के लिए ये महिलाएं बरेली, बदायूं, रामपुर, मुरादाबाद, मेरठ, प्रयागराज समेत 30 जनपदों से चंदा जुटा रही हैं। जो भी राशि इकट्ठा होगी, उसे वो राम मंदिर ट्रस्ट को सौंप देंगी. सामाजिक कार्यों से जुड़ीं महिलाओं का कहना है कि जब ईदगाह के लिए हिंदू समुदाय ने हमें दान में जमीन दी, तो भला हम लोग राम लला के मंदिर निर्माण में अपना सहयोग क्यों नहीं कर सकते? उनका उत्साह और बाव देखते ही बनता है।
26 जनवरी के बाद दर्शन और भेंट
मुस्लिम महिलाएं 26 जनवरी के बाद किसी भी दिन रामलला के दर्शन करने पहुंचेगी। अयोध्या के इस मंदिर में ट्रिपल तलाक की पीड़ित मुस्लिम महिलाएं न सिर्फ रामलला को निहारेंगी, बल्कि उन्हें अपने हाथों से बने खास कपड़े भी भेंट में देंगी। रामलला के वस्त्र बरेली की मशहूर ज़री ज़रदोजी से तैयार हो रहे हैं।
यूपी में तीन तलाक से पीड़ित जो महिलाएं राम लला को अपने हाथ से बनाए वस्त्र भेंट करना चाहती हैं। उनकी एक ख्वाहिश ये भी है कि उन्हें ट्रस्ट से अनुमति मिले, तो वो हर साल रामलला के लिए अपने हाथ से वस्त्र तैयार करना चाहेंगी। मुस्लिम महिलाओं का यह कदम ऐतिहासिक होगा। उनका रामलला के लिए यह प्रेम सभी धर्म और राजनीति से उपर उठकर अपनी ही एक कहानी कहता है।