देश में लगातार साइबर क्राइम बढ़ता जा रहा है. दिल्ली – एनसीआर में तो साइबर क्राइम के मामले आए दिन बढ़ते ही जा रहे है. साइबर अपराधी रोज नये नये तरीकों से लोगों को बेवकूफ बनाकर उन्हें ठग रहे हैं. ऐसा ही एक मामला यूपी के नोएडा से आया है. नोएडा के सेक्टर – 39 निवासी एक व्यक्ति को साइबर ठगों ने अपने जाल में फंसाकर उसके साथ 27 लाख की ठगी कर ली. इसके बाद इस व्यक्ति ने साइबर हेल्पलाइन सेल पर शिकायत की, जिसके बाद सेक्टर -39 थाने में केस दर्ज हुआ.
नोएडा के सेक्टर – 39 निवासी पूरण चंद्र जोशी इस ठगी का शिकार हुए है. पूरण जोशी केंद्रीय सेवा से रिटायर है. पूरण जोशी के पास 6 मार्च को एक मेसेज आया कि उनका बिजली का बिल बकाया है, अगर बिल नहीं भरा गया तो उनका बिजली का कनेक्शन काट दिया जायेगा. तब मेसेज में दिए नंबर पर पूरण जोशी ने कॉल करके कहा कि उन्होंने तो बिजली का बिल जमा किया हुआ है. तब दूसरी तरफ से चेक करके थोड़ी देर में जानकारी देने के लिए बोला गया. थोड़ी देर में बिजली विभाग का कर्मचारी बताकर एक व्यक्ति ने पूरण जोशी को कॉल किया और बताया कि बिल तो जमा हुआ है लेकिन एक रूपया कम होने के कारण अपडेट नहीं हो पाया है. इसके लिए आपको एक रूपया जमा करना होगा आप अभी ई – वॉलेट से वेबसाइट पर जमा कर सकते हैं, आपको वेबसाइट का लिंक भेजा जा रहा है. ये लिंक किसी वेबसाइट का लिंक नहीं बल्कि रिमोट ऐप था. पूरण जोशी ने लिंक को क्लिक किया और ऐप डाउनलोड हो गया. किसी तरह से ठगों ने पूरण जोशी UPI पिन देख लिया. इस UPI से दो बैंक अकाउंट जुड़े हुए थे. एक अकाउंट से 2 लाख और दूसरे अकाउंट से 25 लाख रूपये ठगों ने निकाल लिए.
पूरे देश और विशेषरूप से दिल्ली – एनसीआर में इस तरह की घटनाओं की बाढ़ सी आई हुई है. साइबर पुलिस इस तरह की घटनाओं को रोकने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है. लोगों के लाखों – करोड़ों रूपये ये साइबर ठग आए दिन ठग रहे है. पुलिस केवल मामला दर्ज करती है पीड़ित को ना तो उसके ठगे गए रूपये मिल पा रहे है और ना ही साइबर ठग ही पकड़े जा रहे है. अब तो कई सालों से नोएडा में पुलिस की कमिश्नरी प्रणाली लागू है, अब पहले से कहीं ज्यादा IPS अफसर नोएडा में कार्यरत है, कमिश्नरी बनने के बाद पुलिस के अधिकार भी बढ़े हैं लेकिन इन सबके बावजूद क्राइम कम होता नहीं दिख रहा है. साइबर पुलिस की संख्या तो वैसे भी कम ही है साथ ही साइबर पुलिस इस तरह के मामले को रोकने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है. साइबर ठगी के कई सारे मामले तो पुलिस तक पहुंच भी नहीं पाते है. जहां ठगी की रकम कम होती है या और कुछ वजहों से ठगने के बाद भी पीड़ित पुलिस के पास जाने से बचते हैं.