Tirupati Laddu case: प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में बनाए जाने वाले प्रसाद में पशुओं की चर्बी के इस्तेमाल का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। वहीं, इस मामले पर एक वकील ने कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि यह काम हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों का उल्लंघन करता है और उन लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, जो इस प्रसाद को पवित्र मानते हैं।
याचिका में कहा गया है कि लड्डुओं में पशु चर्बी की कथित उपस्थिति मंदिर प्रशासन की व्यवस्था में बड़ी चूक को दर्शाता है। अधिवक्ता ने हिंदू धार्मिक प्रथाओं की पवित्रता की रक्षा करने की मांग की है।
चंद्रबाबू नायडू ने पिछली सरकार पर लगाए आरोप
विवाद तब शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को कहा कि पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार के दौरान तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मंदिर में प्रसाद के रूप में दिए जाने वाले लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का उपयोग किया जाता था। आंध्र प्रदेश सरकार ने तब गुजरात की एक प्रयोगशाला की रिपोर्ट का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि लड्डू में इस्तेमाल किए गए घी में गोमांस की चर्बी, मछली का तेल और लार्ड (सूअर की चर्बी) के अंश पाए गए थे।
कथित कृत्य संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को भेजी गई एक पत्र याचिका में वकील सत्यम सिंह ने कहा है कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा प्रबंधित मंदिर के प्रसाद पर लगाए गए आरोपों से भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंची है और लड्डुओं में पशु वसा का उपयोग करने का कथित कृत्य संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक रीति-रिवाजों के पालन के अधिकार सहित धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है।
पत्र भेजने वाले वकील ने हिंदू धार्मिक प्रथाओं की सुरक्षा और पवित्र संस्थानों के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने की भी मांग की है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय से हस्तक्षेप का आग्रह किया है।
इससे पहले शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने श्री नायडू से आरोपों पर “विस्तृत रिपोर्ट” मांगी है। नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और जन सेना की सहयोगी भाजपा ने कहा है कि पशु वसा का कथित उपयोग एक अक्षम्य पाप है।