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नीतीश और मोदी का प्रेम ‘कभी हां कभी ना’


नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की दोस्ती की दास्तान अजब गजब ही है। मोदी और नीतीश कुमार की अच्छी दोस्ती में खटास या दरार तब आई जब 2014 में मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। उसके बाद जब वे बिहार का दौरा करने आने वाले थे तब नीतीश कुमार उन्हें एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी तक नहीं की। उसके बाद जब नीतीश कुमार बिहार के लिए स्पेशल स्टेट दर्जे की मांग की तो केंद्र का रवैया भिन्न हो गया। जिसके कारण नीतीश कुमार ने अपनी कुर्सी तक जीतन राम माझी को को सौंप दी और अपने एक कोना पकड़ लिए।

नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी को 9 मई 2014 को बिहार की गद्दी सौंप दी और मोदी के खिलाफ साइलेंट मोर्चा खोल दिए। नीतीश ने सोचा कि मांझी उनके ‘खड़ाऊं’ के सहारे बिहार की सत्ता चलाएंगे। सियासत में सब कुछ सोच के मुताबिक कभी कभी ही होता है। साल 2005 बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव आया था। आरजेडी सरकार की 15 साल बाद बिहार से विदाई हो गई। नीतीश कुमार को जनमत मिल गया। बिहार में उन्होंने अपना वर्चस्व बनाया और फैलाया। पर मोदी आतंक और राजनीतिक दुशऱ्मनी के कारण 9 मई से 2014 से जीतनराम मांझी सीएम बनकर राजगद्दी चलाते रहे पर समय बदला राजनीति बदली और एक वक्त फिर बिहार में ऐसा आया जब नीतीश ने जीतनराम मांझी को उनकी औकात दिखा दी और मुख्यमंत्री पद उनसे छीन लिया और भाजपा से फिर करीबी हो गए। इस बीच जनता गवाह है कि किस हद तक मोदी और नीतीश के बीच तकरार और दरार बनते और बढ़ते चले गए। मोदी और नीतीश एक पोस्टर पर भी साथ साथ नहीं दिखते थे।

इतिहास गवाह है कि राजनीति में कोई किसी का हमेशा दोस्त नहीं रहता औऱ ना ही दुश्मन। उसी तरह नीतीश की लिस्ट में भी कोई दोस्त नहीं कोई दुश्मन नहीं। राजनीति में सबको यह पता है कि नीतीश हवा का रुख देखकर पार्टी की दशा और दिशा दोनों बदल देते हैं। इस बार फिर 2024 जब लोकसभा चुनाव सिर पर हैं ऐसे में राजनीतिक रुख को हवा देकर नीतीश कौन सी चाल चलने वाले हैं यह जल्द ही पता चल जाएगा। दूरसी ओर नीतीश आरजेडी से भी एक समय में दूरी बनाए हुए थे पर आज देखिए सरकार किसकी चल रही है बिहार में किसके साथ…..है ना अजब गजब खेल।

मोदी से प्रेम क्या लोकसभा चुनाव या बिहार का 2025 विधानसभा चुनाव किस पर कैसा असर डालेगा। यह नीतीश कुमार का कौन सा माइंड गेम है जो बिहार की राजनीति में ज्वालामुखी जैसा भूचाल लाकर रख दिया है। ऐसे में मोदी और नीतीश का प्रेम कितना कारगर होगा। यह जल्द ही पता चल जाएगा।


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