श्रेष्ठ भारत (Shresth Bharat) | Hindi News

Our sites:

|

Follow us on

|

पहलवान बजरंग पूनिया ने पद्मश्री पुरस्कार वापस लौटाया


साक्षी मलिक के संयास की घोषणा के बाद अब भारतीय पहलवान पहलवान बजरंग पूनिया ने भी भारतीय कुश्ती संघ के नए प्रमुख संजय सिंह के विरोध में अपना पद्म श्री पुरस्कार लौटाकर अपनी नाराजगी दर्ज करायी है। सोशल मीडिया पर उन्होंने इसकी जानकारी साझा की। बजरंग ने पद्म पुरस्कार लौटाने का एलान करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा है। इस खत की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए बजरंग ने लिखा “मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है। यही मेरा स्टेटमेंट है।”

बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए खत में लिखा “माननीय प्रधानमंत्री जी, उम्मीद है कि आप स्वस्थ होंगे। आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे। आपकी इस भारी व्यस्तता के बीच आपका ध्यान हमारी कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं। आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती संघ पर काबिज बृजभूषण सिंह पर सेक्सुएल हरासमैंट के गंभीर आरोप लगाए थे, जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया था। आंदोलित पहलवान जनवरी में अपने घर लौट गए, जब उन्हें सरकार ने ठोस कार्रवाई की बात कही। लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी जब बृजभूषण पर FIR तक नहीं की तब हम पहलवानों ने अप्रैल महीने में दोबारा सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया। जिससे दिल्ली पुलिस कम से कम बृजभूषण सिंह पर एफआईआर दर्ज करे। उसके बावजूद भी बात नहीं बनी तो हमें कोर्ट में जाकर FIR दर्ज करवानी पड़ी। जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी जो अप्रैल तक आते आते 7 रह गई थी, यानी इन तीन महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण सिंह ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था। पहलवानों का आंदोलन 40 दिनों तक चला। इन 40 दिनों में एक महिला पहलवान पीछे भी हट गई। हम सब पर बहुत दबाव आ रहा था। हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी। जब ऐसा हुआ तो हमें कुछ समझ नहीं आया कि हम क्या करें। इसलिए हमने अपने मेडल गंगा में बहाने की सोची। जब हम वहां गए तो हमारे कोच साहिबान और किसानों ने हमें ऐसा नहीं करने दिया। उसी समय आपके एक जिम्मेदार मंत्री का फोन आया और हमें कहा गया कि हम वापस आ जाएं, हमारे साथ न्याय होगा। इसी बीच हमारे गृहमंत्री जी से भी हमारी मुलाकात हुई, जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वे महिला पहलवानों के लिए न्याय में उनका साथ देंगे और कुश्ती फेडरेशन से बृजभूषण, उसके परिवार और उसके गुर्गों को बाहर करेंगे। हमने उनकी बात मानकर सड़कों से अपना आंदोलन समाप्त कर दिया, क्योंकि कुश्ती संघ का हल सरकार कर देगी और न्याय की लड़ाई न्यायालय में लड़ी जाएगी, ये दो बातें हमें तर्कसंगत लगीं। लेकिन बीती 21 दिसंबर को हुए कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण एक बार दोबारा काबिज हो गया है। उसने स्टेटमैंट दी कि “दबदबा है और दबदबा रहेगा।” महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपी सरेआम दोबारा कुश्ती का प्रबंधन करने वाली इकाई पर अपना दबदबा होने का दावा कर रहा था। इसी मानसिक दबाव में आकर ओलंपिक पदक विजेता एकमात्र महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से सन्यास ले लिया। हम सभी की रात रोते हुए निकली। समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाएं, क्या करें और कैसे जिएं। इतना मान-सम्मान दिया सरकार ने, लोगों ने। क्या इसी सम्मान के बोझ तले दबकर घुटता रहूं। साल 2019 में मुझे पद्मश्री से नवाजा गया। खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। जब ये सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ। लगा था कि जीवन सफल हो गया। लेकिन आज उससे कहीं ज्यादा दुखी हूं और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं। कारण सिर्फ एक ही है, जिस कुश्ती के लिए ये सम्मान मिले उसमें हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती तक छोड़नी पड़ रही है। खेल हमारी महिला खिलाड़ियों के जीवन में जबरदस्त बदलाव लेकर आए थे। पहले देहात में यह कल्पना नहीं कर सकता था कि देहाती मैदानों में लड़के-लड़कियां एक साथ खेलते दिखेंगे। लेकिन पहली पीढ़ी की महिला खिलाड़ियों की हिम्मत के कारण ऐसा हो सका। हर गांव में आपको लड़कियां खेलती दिख जाएंगी और वे खेलने के लिए देश विदेश तक जा रही हैं। लेकिन जिनका दबदबा कायम हुआ है या रहेगा, उनकी परछाई तक महिला खिलाड़ियों को डराती है और अब तो वे पूरी तरह दोबारा काबिज हो गए हैं, उनके गले में फूल-मालाओं वाली फोटो आप तक पहुंची होगी। जिन बेटियों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंबेसडर बनना था उनको इस हाल में पहुंचा दिया गया कि उनको अपने खेल से ही पीछे हटना पड़ा। हम “सम्मानित” पहलवान कुछ नहीं कर सके। महिला पहलवानों को अपमानित किए जाने के बाद मैं “सम्मानित” बनकर अपनी जिंदगी नहीं जी पाउंगा। ऐसी जिंदगी कचोटेगी ताउम्र मुझे। इसलिए ये “सम्मान” मैं आपको लौटा रहा हूं।”

2023 जनवरी के महीने में बजरंग पूनिया सहित देश के कई बड़े पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना शुरू कर दिया था। पहलवानों ने बृजभूषण सिंह और उनके समर्थकों पर महिला पहलवानों के यौन शोषण और मनमानी के आरोप लगाए थे। इसके बाद जांच का आश्वासन मिलने पर पहलवानों ने धरना खत्म किया। वह जांच से संतुष्ट नहीं हुए तो दोबारा धरना किया और इसमें जमकर बवाल हुआ। अंत में बृजभूषण हट गए और दोबारा चुनाव हुए और अब संजय सिंह को चुना गया।

बृजभूषण सिंह के वफादार संजय सिंह 15 में से 13 पद जीतकर भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष चुने गए। संजय सिंह के चुनाव जीतने के बाद साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें साक्षी ने विरोध जताते हुए कुश्ती छोड़ने की घोषणा की। साक्षी ने कहा, “हमने दिल से लड़ाई लड़ी, लेकिन अगर बृजभूषण जैसे व्यक्ति, उनके बिजनेस पार्टनर और करीबी सहयोगी को डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष चुना जाता है, तो मैं कुश्ती छोड़ देती हूं। आज से आप मुझे मैट पर नहीं देखेंगे।” उन्होंने मन आखों के साथ अपनी बात कही। अब बजरंग पूनिया ने अपना पुरस्कार लौटाया है।


संबंधित खबरें

वीडियो

Latest Hindi NEWS

PM MODI Rally
जब कांग्रेस मजबूत होगी, देश मजबूर हो जाएगा' अकोला रैली में अघाड़ी गुट पर पीएम मोदी का तीखा हमला
Gujarat Fire
गुजरात के एक गोदाम में आग लगने से तीन श्रमिकों की मौत, तीन अन्य घायल
Gomti Book Festival 2024
सीएम योगी ने लखनऊ में गोमती पुस्तक महोत्सव 2024 के तीसरे सत्र का किया उद्घाटन
Pakistan Bomb Blast
पाकिस्तान के क्वेटा में बम धमाका, 20 से ज्यादा की मौत; 30 अन्य घायल
FIH Awards
श्रीजेश और हरमनप्रीत सिंह का फिर दिखा दबदबा, मिला यह पुरस्कार
Agra-Lucknow Expressway Accident
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर भीषण हादसा, 5 की मौत; कई घायल