किसान एमएसपी की मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। इसी बीच किसान और सरकार के मंत्रियों के बीच बातचीत हुई लेकिन बात नहीं बनी। किसानों का आरोप है कि सरकार उनकी बात नहीं मान रही हैँ। किसानों की मांग अभी भी जस की तस हैं। इसी को लेकर किसानों ने एलान किया है कि अब वो कल यानि बुधवार को दिल्ली के लिए कूच करेंगे। किसानों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा पांच साल तक दाल, मक्का व कपास की खरीद पर किए जाने वाले न्यूनतम मूल्य समर्थन को खारिज कर दिया है। प्रस्ताव को खारिज करने के कुछ घंटों बाद, किसान नेता सरवन सिंह पंढे़र ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा है कि ‘अब जो भी होगा उसके लिए केंद्र सरकार खुद जिम्मेदार होगी।
मीडिया से बात करते हुए किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि यह किसानों के हित में नही है और सरकार को सभी फसलों पर एमएसपी देने का प्रस्ताव पास करना होगा। अगर सकार ने ऐसा नहीं किया तो हम 21 फरवरी यानि बुधवार को सुबह दिल्ली के लिए कूच करेंगे।
किसानों की सरकार के सामने तीन मांगे रखी थी। पहली सभी फसलों पर एमएसपी की गारंटी मिलनी चाहिए। किसानों की दूसरी मांग थी किसानों का कर्ज माफ हो साथ ही के बिजली अधिनियम वापस लेना होगा।
किसान नेता डल्लेवाल ने कहा कि सोमवार को उन्होंने सभी किसान संगठनों के साथ बातचीत की, लेकिन पांच फसलों पर पांच साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट वाले प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पाई है। पांच या सात साल से किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। कानून की गारंटी पर बोलते हुए किसान नेता डल्लेवाल ने कहा कि वह फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए किसी प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट की प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे।
बता दें, केंद्र सरकार में मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय की समिति ने रविवार को चंडीगढ़ में चौथे दौर की वार्ता के दौरान किसानों के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था। इससे पहले साल 2020-21 में किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सरकार के प्रस्ताव को सोमवार को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें किसानों की एमएसपी की मांग को ‘भटकाने और कमजोर करने’ की कोशिश की जा रही है। और वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में अनुशंसित एमएसपी के लिए ‘सी -2 प्लस 50 प्रतिशत’फार्मूला से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।