Difference Between Shivling and Jyotirling: भगवान शिव हिंदुओं के आराध्य देव माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को खुश करना भक्तों के लिए सबसे आसान है। भगवान शिव को भोले भी कहा जाता है और वह मात्र एक लोटे जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग की पूजा की जाती है। बहुत से लोगों के बीच मतभेद है कि ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग दोनों एक ही होते हैं। यदि आप भी ऐसा सोचते हैं तो आप बिल्कुल गलत सोचते हैं। इन दोनों में बहुत अंतर होता है। हम आज आपको बताएंगे कि शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या अंतर है।
शिवलिंग
शास्त्रों में शिवलिंग का अर्थ बताया गया है – अनंत, अर्थात जिसकी न तो कोई शुरुआत हो और न ही कोई अंत। शिवलिंग भगवान शिव और माता पार्वती के आदि-अनादि एकल रुप हैं। वहीं, ‘लिंग’ का अर्थ होता है प्रतीक। इस प्रकार शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग, शिव जी के प्रतीक के रूप में मनुष्य द्वारा निर्मित किए जाते हैं और पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों स्थापित किए जाते हैं।
ज्योतिर्लिंग
ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के स्वयंभू का अवतार है। ज्योतिर्लिंग का अर्थ है भगवान शिव का ज्योति के रूप में प्रकट होना। पूरे देश में केवल 12 ज्योतिर्लिंग हैं और ये सभी भारत देश में स्थित हैं। शिव पुराण के अनुसार, जहां-जहां भी ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं, वहां भगवान शिव स्वयं एक ज्योति के रूप में उत्पन्न हुए थे। इस प्रकार ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का स्वरूप है जो ‘स्वयंभू’ अर्थात स्वयं घटित होने वाला है। ऐसी मान्यता है कि 12 ज्योतिर्लिंगों की वजह से पृथ्वी का आधार बना हुआ है और इसी कारण वह अपनी धुरी पर घूम रही है।
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ज्योतिर्लिंग की कथा
ज्योतिर्लिंग को लेकर शिव पुराण में एक कथा भी है। शिव पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी में इस बात को लेकर विवाद हो गया था कि दोनों में सर्वश्रेष्ठ कौन है और दोनों ही अपने आपको श्रेष्ठ साबित करने पर डटे हुए थे। इस भ्रम को दूर करने के लिए भगवान शिव एक ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हो गए थे, जिसकी न तो कोई शुरुआत थी और न ही कोई अंत था। ज्योतिर्लिंग में से आवाज आई दोनों में से क्या किसी ने ज्योतिर्लिंग का छोर देखा। विष्णु जी वराह का रूप धारण कर धरती की ओर उस ज्योतिर्लिंग का छोर ढूंढने निकल पड़े, वहीं ब्रम्हा जी एक कीट बनकर उस दिव्य ज्योति का उद्गम ढूंढने निकले, किंतु न ही ब्रम्हा जी को और न ही विष्णु जी को इसका अंत मिला। उसके बाद तय हुआ कि ब्रह्माजी और विष्णुजी से श्रेष्ठ यह दिव्य ज्योति है। इसी ज्योति स्तंभ को ज्योतिर्लिंग कहा गया।
आइए जानते हैं उन 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में…
- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग – गुजरात
- नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – गुजरात
- केदारनाथ ज्योतिर्लिंग – उत्तराखंड
- काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग – उत्तर प्रदेश
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – मध्य प्रदेश
- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – मध्य प्रदेश
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग – महाराष्ट्र
- घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग – महाराष्ट्र
- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग – महाराष्ट्र
- वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग – झारखंड
- मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग – आंध्र प्रदेश
- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग – तमिलनाडु