महाराष्ट्र कैबिनेट ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% मराठा आरक्षण के बिल के मसौदे को मंजूरी दी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सुबह 11 बजे विधानसभा में मराठा आरक्षण पेश किया था। मराठा आरक्षण को लेकर शिंदे की सरकार ने महाराष्ट्र विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाया था। उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी मुख्यमंत्री के साथ मौजूद थे।
सरकार का मकसद है कि अन्य समुदायों के लाभों को प्रभावित किए बिना मराठा समुदाय को स्थायी आरक्षण प्रदान किया जाए। जनवरी-फरवरी के बीच किए गए सर्वेक्षण के दौरान भी मराठा समुदाय के 84 फीसदी परिवार उन्नत श्रेणी में नहीं आते हैं। सको देखते हुए वे आरक्षण के लिए पात्र हैं। विधेयक में यह भी कहा गया कि महाराष्ट्र में कुल आत्महत्या करने वाले किसानों में से 94 फीसदी मराठा परिवार ही पाए गए है।
समाजवीदी पार्टी के विधायक रईस शेख 10 फीसदी मराठा आरक्षण को लेकर कहा है कि राज्य के मुस्लिमों को भी पिछड़ापन दूर करने के लिए 5 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। सपा विधायक ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए मुस्लामानों को अनदेखा किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं मराठा आरक्षण का सम्मान करता हूं।
मराठा आरक्षण बिल पास होने के बाद कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि यह फैसला चुनाव और वोटों को ध्यान में रखकर लिया गया है। एक तरह से ये मराठा समुदाय के साथ धोखा है। मराठा समुदाय आप पर भरोसा नहीं करेगा। हमारा फायदा तभी होगा, जब हमारी मराठा आरक्षण पूरी की जाएं। इस आरक्षण से काम नहीं चलेगा। सरकार अब झूठ बोलेगी कि आरक्षण दे दिया गया है। जरांगे फिलहाल मराठा आरक्षण को लेकर जालना जिले में अपने पैतृक स्थान पर 10 फरवरी से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं।