नागरिकता संशोधन बिल पर कई तरीके के सवाल उठाए जा रहे हैं कुछ लोग इस बिल का विरोध करते हुए इसे भेदभावपूर्ण बता रहे हैं। वहीं धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ भी इस बिल को बताया जा रहा है। सवाल उठाए जा रहा है कि सिर्फ तीन देशों के लोगों को ही नागरिकता क्यों दी जा रही हैं। इन तमाम सवालों के जवाब में वरिष्ठ वकील हरिश साल्वे ने अपनी बात रखी। ब्रिटेन का उदाहरण देते हुए हरीश साल्वे ने बताया कि ब्रिटेन ने शरणार्थियों के लिए दरवाजे खोले थे, लेकिन आज वह उनसे परेशान है। ब्रिटेन का इमीग्रेशन सिस्टम ध्वस्त हो रहा है। हरिश साल्वे आगे कहते हैं मैं लंदन में रहता हूं लेकिन यकीन मानिए शहर जर्जर हालत में है लंदन का बुनियाद ढांचा ढांचा जर्जर हालत में है। जब मैं दिल्ली में उतरता हूं तो मुझे लगता है मैं विकासशील देश में एक विकसित देश से आ रहा हूं। यही अंतर है कि, लंदन में 200 यात्रियों के लिए इमीग्रेशन पर दो लोग हैं। दिल्ली हवाई अड्डे पर 14 है लंदन के पास इन सबके लिए पैसे ही नहीं है।
इस कानून पर बोलते हुए साल्वे ने आगे कहा कि भारत वह बड़ा भाई नहीं हो सकता है जो पाकिस्तान के साथ कई तरीके के विवाद सुलझाने के लिए बैठे। पाकिस्तान के साथ धार्मिक विवादों को सुलझाने के लिए भारत के पास इतना वक्त नहीं है। भारत दुनिया के तमाम परेशान लोगों के लिए अपनी सीमाएं नहीं खोल सकता है, लेकिन पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के जिन समुदाय के लोगों को नागरिकता देने की बात की जा रही है वह हमारी ही जाति के लोग हैं।
जब हरिश साल्वे से सवाल किया गया कि यह नागरिकता पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के लोगों को ही क्यों दी जा रही है, तो इसके लिए इसको लेकर उन्होंने कहा जहां तक अफगानिस्तान की बात है तो मेरी पत्नी एक अफगान मुस्लिम है। उन्हें अपने परिवार फिर समुदाय देश और फिर धर्म के बारे में सिखाया जाता था लेकिन आज यह बदल चुका है क्योंकि अब वहां तालिबान है।