झारखंड टाइगर नाम से मशहूर चंपई सोरेन आज यानि शुक्रवार को दिन में करीब 12 बजे झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। चंपई सोरेन के साथ तीन और मंत्री भी शपथ ले सकते हैं। झारखंड के महागठबंधन की ओर से राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के समक्ष 43 विधायकों के नाम के साथ चंपई सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश किया। इसके बाद राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने झामुमो विधायक दल के नेता चंपई सोरेन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है। चंपई सोरेन को बहुमत साबित करने के लिए दस दिनों का वक्त दिया गया है। इससे पहले सत्ताधारी विधायकों ने दो बार राज्यपाल से मुलाकात की थी। हेमंत सोरेन का इस्तीफा होने के बाद से सूबे में अगले 24 घंटे तक कोई सीएम नहीं था।
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद झारखंड में सियासी संकट गहरा गए थे। हेमंत सोरेन को बुधवार रात ईडी ने 8 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद कथित जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान हेमंत सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दिया। हेमंत सोरेन गुरुवार रात को रांची की होटवार जेल में रहे। शुक्रवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। बताया जा रहा है कि ईडी हेमंत सोरेन की 10 दिनों की रिमांड मांग रही है। उधर, सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ शुक्रवार सुबह 10:30 बजे इस मामले में सुनवाई करेगी।
कौन हैं चंपई सोरेन
चंपई सोरेन को कोल्हान टाइगर और झारखंड टाइगर के नाम से भी जाना जाता है। 68 वर्षीय चंपई सोरेन कोल्हान प्रमंडल के सरायकेला विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। चंपई सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा प्रमुख शिबू सोरेन का सबसे वफादार माना जाता है। दरअसल, चंपई सोरेन ने शिबू सोरेन के साथ मिलकर 1990 के दशक में अलग (झारखंड) राज्य के लिए चली लंबी लड़ाई में अहम योगदान दिया है। उनके इसी योगदान के लिए ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से भी जाना जाता है। चंपई सोरने, हेमंत सोरेन की सरकार में परिवहन मंत्री और आदिवासी कल्याण मंत्री थे। वह हेमंत सोरेन के सबसे विश्वस्त माने जाते रहे हैं। कई मौको पर देखा गया है जब हेमंत सोरेन चंपई सोरेन के पैरे छूते दिखाई दिए। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि झामुमो में उनका कद कितना बड़ा है।
अगर चंपई सोरेन के राजनीतिक जीवन की बात की जाए तो साल 1991 में उन्होंने पहली बार उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी। ये जीत बेहद खास थी। क्योंकि उन्होंने कद्दावर झामुमो सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी को हराया था। साल 1995 में झामुमो के टिकट पर चुनाव में जीत हासिल की। साल 2000 में बीजेपी के अनंतराम टुडू से चुनाव हार गए थे। इस हार के बाद वो लगातार 2005 से सरायकेला से विधायक रहे हैं। साल 2019 में उन्होंने भाजपा के गणेश महली को हराया।
चंपई सोरेन का जन्म सरायरकेला के जिलिंगगोड़ा में साल 1956 में हुआ था। उनके पिता का नाम सेमल सोरेन और माता का नाम माधव सोरेन है। अपने तीन भाइयों और एक बहन में ये सबसे बड़े हैं। चंपई मैट्रिक पास हैं। इनकी शादी मानको सोरेन से हुई है और इनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं।