कांग्रेस ने भी लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी करते हुए कई तरह की गारंटी देने की बात कही थी। इस पर सरमा ने कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र का मकसद समाज को बांटना है।
हेमंत बिस्वा सरमा ने क्या कहा
सरमा ने जोरहाट निर्वाचन क्षेत्र में एक चुनावी रैली के मौके पर संवाददाताओं से ये कहा है। उन्होंने इसको तुष्टिकरण की राजनीति बताकर निंदा की। उन्होंने कहा कि, घोषणापत्र देखकर ऐसा लगता है जैसे यह पाकिस्तान के चुनाव के लिए जारी किया गया है।”
सरमा ने कहा कि देश में कोई भी हिंदू या मुस्लिम, तीन तलाक को फिर से शुरू करना चाहता है। ना ही कोई समुदाय बाल विवाह या बहुविवाह का समर्थन करता है। भाजपा नेता ने कहा, ‘कांग्रेस की मानसिकता समाज को बांटना और सत्ता में आना है।’
कांग्रेस ने किया पलटवार
इस बीच, असम के सीएम के बयान पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है। असम कांग्रेस के प्रवक्ता बेदब्रत बोरा ने सरमा को दलबदलू बताया और कहा कि वे पार्टी के धर्मनिरपेक्ष और समावेशी लोकाचार को नहीं समझ नहीं पाएंगे। कांग्रेस का घोषणापत्र समाज के सभी वर्गों के हितों की रक्षा करने का लक्ष्य रखता है।
बोरा ने आगे कहा कि सरमा कई वर्षों तक कांग्रेस में रहने के बावजूद पार्टी की विचारधारा को नहीं समझ सके। इसलिए वह भाजपा में चले गए। पिछले कुछ समय से भाजपा में रहने के बाद भी उनके ऊपर खुद को साबित करने का दबाव है। इसलिए ही वे कांग्रेस को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। ऐसा करके वो भगवा पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा दिखाते हैं।
कांग्रेस ने शुक्रवार को अपना चुनाव घोषणापत्र जारी किया। इसमें अपरेंटिसशिप का अधिकार, एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी, एससी, एसटी, और ओबीसी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को संविधान संशोधन के माध्यम से बढ़ाने, एक राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना, और अग्निपथ योजना को खत्म करने जैसे वादे कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल हैं।