Lok Sabha Election 2024: पंजाब में बीजेपी और अकाली दल के बीच गठबंधन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। पंजाब में बीजेपी अब अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेगी। पंजाब में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
सुनील जाखड़ ने ‘एक्स’पर एक वीडियो जारी कर ये घोषणा की। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोगों के हित के लिए बीजेपी ने यह फैसला लिया है। हालांकि पिछले हफ्ते ये चर्चा थी कि दोनों पार्टियां राज्य में सीट बंटवारे पर आम सहमति पर पहुंचती हैं तो अकाली दल और भाजपा चुनाव पूर्व समझौता कर सकते हैं।
सुनील जाखड़ के अनुसार पार्टी ने ये फैसला लोगों की राय, पार्टी वर्कर्स की राय, नेताओं की राय को लेकर किया है। इसके अलावा पंजाब के युवा, किसान, पंजाब के व्यापारी, मजदूरों और सबके भविष्य के लिए भी ये फैसला लिया गया है। जाखड़ के अनुसार जो काम बीजेपी ने प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में पंजाब में किए हैं वो किसी ने नहीं किए।
जाखड़ ने पंजाब में भाजपा सरकार के प्रति किसानों की नाराजगी का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा भाजपा को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। किसान अपनी कृषि उपज के लिए कानूनी एमएसपी की मांग कर रहे हैं। सरकार ने हर अनाज की एमएसपी पर खरीद की थी और कुछ ही हफ्तों में पैसा भी किसानों के खातों में पहुंच गया था।
पंजाब बीजेपी प्रमुख ने आगे कहा, “करतारपुर कॉरिडोर, जिसके लिए लोग दशकों से अनुरोध कर रहे थे, वह भी वाहेगुरु के आशीर्वाद के कारण पीएम मोदी के तहत संभव हुआ।”
इसी बीच, लोकसभा चुनाव 2024 पर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का कहना है, ‘शिरोमणि अकाली दल कोई आम राजनीतिक दल नहीं है। हमारे लिए नंबर गेम से ज्यादा जरूरी हमारे सिद्धांत हैं। 103 वर्षों से, शिरोमणि अकाली दल ने सरकार बनाने के लिए पार्टी का गठन नहीं किया है। शिरोमणि अकाली दल के ऊपर पंजाब की, पंजाबियों की, समुदाय की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। दिल्ली स्थित नेशनल पार्टी केवल वोट बैंक की राजनीति करते हैं। हम ऐसा करने वाले नहीं हैं। हमारे लिए पंजाब मायने रखता है।’
बता दें, 2019 के लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने बीजेपी के साथ NDA में रहकर ही लड़ा था। लेकिन, साल 2020-21 के किसान आंदोलन के समय दोनों दलों के बीच टकराव बढ़ गया। जिसके बाद अकाली दल ने बीजेपी से दो दशक से भी ज्यादा पुराना नाता तोड़ दिया था। विधानसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिला था। जब विधानसभा चुनाव में AAP ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी। AAP ने 117 सीटों में से 92 सीटों पर एतिहासिक जीत हासिल की थी।