Loksabha Election 2024: यूपी में क्या बीजेपी को इस चुनाव में भारी नुकसान हो रहा है। क्या यूपी में बीजेपी 2014 और 2019 के आंकड़े दोहरा नहीं पा रही है? अगर वाकई ऐसा है तो क्या पीएम मोदी का विजय रथ उसकी सबसे माकूल जमीन यूपी में ही फंसने जा रहा है और सबसे बड़ी बात इसमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की उदासीनता को क्यों कारण बताया जा रहा है? क्या सीएम योगी वाकई आक्रामक तरीके से यूपी विजय के लिए नहीं लगे हैं या फिर उनके खिलाफ जानबूझकर खबरें चलाई जा रही हैं. ये चर्चा आजकल दिल्ली-लखनऊ में सत्ता के गलियारों से लेकर यूपी की गलियों-चौबारों तक आम हैं।
जेल से बाहर आते ही केजरीवाल ने साधा निशाना
तिहाड़ जेल से जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल जनता के सामने आए तो उन्होंने बीजेपी पर ये बड़ा तीर चला। उसके बाद लखनऊ में अखिलेश यादव के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पहुंचे तो भी उन्होंने यही बात दोहराई कि बीजेपी अगर यूपी में बंपर सीटें जीती तो चुनाव के 2-3 महीने बाद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटा देगी।
अमित शाह के पीएम बनने की राह कौन बन रहा कांटा?
केजरीवाल ने कहा कि मोदी अपने ही बनाए नियम के अनुसार अगले वर्ष 17 सितंबर को जैसे ही 75 साल के हो जाएंगे – तुरंत अमित शाह को पीएम बना देंगे। केजरीवाल कह रहे हैं कि अमित शाह के पीएम बनने की राह में अब केवल योगी ही कांटा हैं। इसलिए बीजेपी ने उन्हें हटाने का प्लान बना लिया है। केजरीवाल के इस बयान का योगी आदित्यनाथ अपने अंदाज में जवाब दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि तिहाड़ जेल में रहने के दौरान केजरीवाल का दिमागी संतुलन गड़बड़ा गया है। उनकी मति मारी गई है जो ऐसी बातें कर रहे हैं।
बीजेपी बंपर चुनाव जीती तो योगी को हटा देगी?
दिलचस्प बात ये है कि केजरीवाल के हमले में दो बातें हैं। पहली ये कि अगर बीजेपी बंपर चुनाव जीती तो योगी को हटा देगी और दूसरी ये कि प्रधानमंत्री मोदी अपना उत्तराधिकारी अमित शाह को चुनेंगे। उन्हें प्रधानमंत्री बना देंगे। दिल्ली में केजरीवाल ने पहली बार ये बयान दिया तो उसके तुरंत बाद बीजेपी का दूसरे वाले प्वाइंट पर जवाब आ गया।
CM पद से हटाए जाएंगे योगी!
केजरीवाल के हमले के तुरंत बाद बीजेपी के बड़े नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए। दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा चुनाव जीतने के बाद मोदी प्रधानमंत्री रहेंगे। इसके बाद अमित शाह ने चुनावी रैलियों में कहना शुरू कर दिया कि मोदी 2029 में भी प्रधानमंत्री रहेंगे। लेकिन बीजेपी के किसी बड़े नेता ने इन अटकलों पर कुछ नहीं कहा कि क्या चुनाव के बाद योगी को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाएगा या नहीं।
चुनावी लड़ाई में आमने-सामने
बीजेपी के बड़े नेताओं की तरफ से योगी को लेकर कोई टोस जवाब तो नहीं आया है,लेकिन सीएम योगी केजरीवाल को खरी-खरी सुना चुके हैं, लेकिन यूपी में जिस तरह चुनाव में इंडिया गठबंधन को चुनावी लड़ाई में आमने-सामने माना जा रहा है। उससे सबके दिलो-दिमाग में ये सवाल जरूर उठ रहा है कि आखिर इन कानाफूसियों को लेकर योगी के मन में क्या है। योगी 2017 से देश के सबसे बड़े सूबे की सबसे बड़ी कुर्सी संभाले हुए हैं। शानदार तरीके से सबसे बड़ा राज्य चला रहे हैं।
यूपी प्लस योगी यानी उपयोगी
उनकी काबिलियत की तारीफ प्रधानमंत्री मोदी खुद 2022 के विधानसभा चुनाव में कर चुके हैं। 2022 के चुनाव प्रचार में पीएम मोदी कहते रहे हैं कि यूपी प्लस योगी यानी उपयोगी। हालांकि, ये बात अब तक यूपी और देश का 80 फीसदी से ज्यादा चुनाव बीतने के बावजूद बेहद कम सुनाई दी है।
अमित शाह और योगी के बीच वाकई विरासत की जंग?
बीजेपी में प्रधानमंत्री पद को लेकर मोदी के उत्तराधिकारी के तौर पर क्या चल रहा है। क्या अमित शाह और योगी के बीच वाकई विरासत की जंग है। या फिर ये सिर्फ मीडिया की कयासबाजी है। ये तो बीजेपी और आरएसएस ही जानें, लेकिन यूपी के गली-कूचों में ये बात बहुत जोर शोर से चल रही है।
27 सीटों पर चुनाव
छठे और सातवें चरण में यूपी के अवध औऱ पूर्वांचल की 27 सीटों पर चुनाव हैं। भोजपुरी और अवधी बोलने वाला ये पूरा इलाका अपनी बात रखने के लिए काफी मुखर यानी VOCAL माना जाता है। इस इलाके में एक कहानी आजकल हर गली-मुहल्ले, चाय-पान की दुकान पर सुनाई दे रही है कहानी कुछ इस तरह है।
शेर की भी जान बच गई
गुजरात से एक शेर यूपी पहुंचा। 10 सालों तक यूपी ने उसे खूब प्यार दिया। वो यूपी से दिल्ली तक पहुंचा, लेकिन 10 साल बाद यूपी में घूमते-घूमते एक 80 फीट गहरे कुएं में गिर गया। वहां एक संत का शासन था। साधु बाबा कुएं के पास से गुजर रहे थे। उन्होंने शेर को कुएं से निकालने की योजना बनाई, लेकिन डर ये था कि शेर कुएं से निकला तो उन्हें खा जाएगा। सोचते-सोचते साधु बाबा ने एक तरकीब अपनाई। 80 फीट गहरे कुएं में एक 40-50 फीट लंबी लकड़ी की सीढ़ी फेंक दी। शेर उस सीढ़ी पर चढ़ गया। शेर की भी जान बच गई और साधु बाबा की भी।
10 साल से योगी ने निभाई जिम्मेदारी
लोग ये भी कह रहे हैं कि ये सिर्फ एक कहानी है। इसको चुनाव और मौजूदा राजनीति से न जोड़ा जाए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पिछले 10 साल में जो भी जिम्मेदारी दी गई। वो उन्होंने बखूबी निभाई है। केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने गुजरात के राजकोट में क्षत्रियों के खिलाफ बयान दिया। तो उससे क्षत्रिय खफा हो गए।
योगी के खिलाफ कैसरगंज के पूर्व सांसद
सीएम योगी आदित्यनाथ नाथ संप्रदाय में दीक्षा लेने के पहले क्षत्रिय ही थे। उन्होंने अपने सभी संपर्कों और राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करते हुए क्षत्रियों को मनाने की कोशिश की और अब भी कर रहे हैं। यूपी के मेरठ-मुजफ्फऱनगर में उन्होंने ठाकुर नेता संगीत सोम की नाराजगी दूर करने की कोशिश की तो पूर्वांचल में कई क्षत्रिय नेताओं को मनाया और अब भी लगातार मना रहे हैं। लेकिन योगी के खिलाफ कैसरगंज के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह जैसे नेता लगातार परोक्ष-अपरोक्ष तौर पर बयानबाजी कर रहे हैं।
मंच पर ये क्या बोल गए बृजभूषण शरण
पिछले हफ्ते बृभूषण सिंह ने अपने बेटे करणभूषण सिंह के समर्थन में एक रैली की उसमें यूपी के बीजेपी नेता और पूर्व नौकरशाह अरविंद कुमार शर्मा भी मौजूद थे। बृजभूषण शरण ने संबोधन की शुरुआत में कहा मंच पर बैठे यूपी के मुख्यमंत्री श्री ए के शर्मा जी हालांकि बाद में उन्होंने इसे जुबान फिसलना या SLIP OF TONGUE बताया। इन बातों का असर ये है कि कई क्षत्रिय नेता तो योगी के समझाने-बुझाने पर बीजेपी का साथ देने को तैयार हो गए हैं, लेकिन कई छिटक गए हैं।
कौशांबी समेत इन जिलों में चुनावा
प्रतापगढ़, कौशांबी, सुल्तानपुर, मिर्जापुर समेत कई सीटों पर (Loksabha Election 2024) अच्छा खासा असर रखने वाले रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और सुल्तानपुर के दबंग नेता सोनू सिंह-मोनू सिंह खुलकर समाजवादी पार्टी के साथ चल गए हैं। अगर अंतिम चरणों की 27 सीटों पर बीजेपी का गणित कुछ गड़बड़ाता है तो इसमें इन नेताओं की बड़ी भूमिका मानी जाएगी।
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कहां तो बीजेपी उम्मीद कर रही थी कि अगर देश के दूसरे हिस्सों से उसे नुकसान होता है तो उसकी भरपाई उत्तर प्रदेश से कर ली जाएगी। यूपी में योगी हैं, राम मंदिर है, लेकिन यूपी में योगी और अमित शाह को लेकर जिस तरह अंदरखाने की खबरें सुनने में आ रही हैं। वो अगर सच हैं तो बीजेपी को यूपी में बहुत बड़ा डेंट लग सकता है। यूपी का दर्द इतना बड़ा होता है कि बाकी देश से घाटे की भरपाई की बात छोड़िए। देश की सबसे बड़ी कुर्सी तक पहुंचने का डैमेज कंट्रोल भी मुश्किल हो जाता है।