Terrorist Attack On Russia Southern Province Of Dagestan: रूस के दक्षिणी प्रांत दागेस्तान में रविवार को हुए आतंकी हमले में 15 से ज्यादा पुलिसकर्मी, एक पादरी और कई नागरिक मारे गए हैं। प्रांत के गवर्नर सर्गेई मेलिकोव ने इस बात की जानकारी दी। बंदूकधारियों ने दो शहरों में दो ऑर्थोडॉक्स चर्चों, एक यहूदी प्रार्थनाघर और एक पुलिस चौकी पर गोलीबारी की। रूसी मीडिया ने बताया है कि जवाबी कार्रवाई में 6 हमलावर मारे गए हैं। हमले क्षेत्रीय राजधानी माखचकाला और तटीय शहर डर्बेंट में हुए, जो एक दूसरे से 120 किमी की दूरी पर स्थित हैं। रूस की जांच कमेटी ने इसे आतंकवादी घटना बताते हुए कहा है कि उसने दागेस्तान में हमले की आपराधिक जांच शुरू कर दी है। दागेस्तान रूस का एक बड़ी मुस्लिम आबादी वाला प्रांत है, जो चेचन्या के पड़ोस में है। क्षेत्र में सोमवार, मंगलवार और बुधवार को तीन दिनों के लिए शोक रखा गया है।
हमले में मरने वाले पादरी की पहचान फादर निकोलाय के रूप में हुई है। वो 66 साल के थे। हमलावरों ने उनका गला रेत दिया था। इसके साथ ही चर्च के बाहर तैनात एक सुरक्षा गार्ड की भी हत्या कर दी। रूसी यहूदी कांग्रेस ने बताया है कि डर्बेंट और माखचकाला में एक-एक सिनेगॉग पर हमला किया गया है। डर्बेंट के सिनेगॉग में जब हमला किया गया, जब 40 मिनट पहले प्रार्थना हो चुकी थी और वहां कोई मौजूद नहीं था। हमलावरों ने मोलोटोव कॉकटेल बम से सिनेगॉग की बिल्डिंग में आग लगा दी। इस दौरान बाहर खड़े पुलिसकर्मी और सुरक्षा गार्ड हमले में मारे गए।
रूसी यहूदी कांग्रेस ने कहा कि मृतकों और घायलों की सही संख्या के बारे में अभी नहीं बताया जा सकता। साथ ही ये भी जानकारी दी गई कि डर्बेंट सिनेगॉग को पूरी तरह जला दिया गया है। एक बयान में कहा गया है कि अभी तक यहूदी समुदाय से किसी की मौत की जानकारी नहीं है। पिछले साल अक्तूबर में स्थानीय हवाई अड्डे पर यहूदी विरोधी भीड़ ने यहूदियों पर हमला किया था, जिसके बाद से ही स्थानीय यहूदी प्रार्थनागरों के बाहर सुरक्षा गार्ड तैनात कर दिए गए थे। दागेस्तान के आंतरिक मंत्रालय की प्रवक्ता गयाना गारियेवा ने बताया था कि हमले में 6 पुलिसकर्मी मारे गए, जबकि कम से कम 12 घायल हुए हैं। मंत्रालय ने बाद में कि गंभीर घायल एक स्थानीय पुलिस प्रमुख की इलाज के दौरान मौत हो गई। रूसी नेशनल गार्ड ने कहा है कि डर्बेंट में उसके अधिकारी की भी मौत हुई है, जबकि कई घायल हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक, जिस पादरी का गला रेता गया उनका इजरायल से कनेक्शन था। चर्च में मौजूद अन्य पादरियों ने खुद को बचाने के लिए चर्च में बंद कर लिया और मदद का इंतजार करने लगे, जहां पर वह सभी सुरक्षित बच गए। दागेस्तान पब्लिक मॉनिटरिंग कमीशन के अध्यक्ष शमील खादुले ने बताया कि मृत पादरी फादर निकोले गंभीर रूप से बीमार थे। उन्होंने चर्च में तकरीबन 40 साल सेवा दी है। फादर निकोले पहले रूस के स्टावरोपोल में थे, जहां से साल 1980 में उन्हें दागेस्तान भेज दिया गया। फादर निकोले के परिवार में उनकी पत्नी, तीन बच्चे और पोते-पोतियां हैं।
फादर निकोले ने इजराइल की राजधानी येरुशलम से रूस तक ‘पवित्र अग्नि’ Holy fire पहुंचाने के समारोह में भी भाग लिया था, यह रूढ़िवादी ईसाई परंपरा है जो कि ईस्टर के एक दिन पहले होता है। पादरी के मारे जाने की एक वजह ये भी मानी जा रही है, लेकिन अभी इस मामले में जांच चल रही है। फिलहाल ये भी कहा जा रहा है कि इन आतंकी हमले के पीछे आतंकी संगठन आईएस खोरासान का हाथ हो सकता है। क्योंकि रूस की राजधानी मॉस्को में मार्च में अभी हालही में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 60 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। जब भी आतंकी संगठन आईएस खोरासान के हाथ होने की खबर सामने आई थी।
क्या है आईएस खोरासान और कब बना ?
दरअसल, 1999 में स्थापित हुए आईएस को दुनिया ने 2014 के बाद से ही जानना शुरू किया। इससे पहले सीरिया, इराक या बाकी दूसरे देशों में इसका प्रभाव नहीं था। आईएस- खोरासान, आईएस की ही एक शाखा है, जिसे जनवरी 2015 में तालिबान के पाकिस्तानी सहयोगी के असंतुष्ट सदस्यों द्वारा स्थापित किया गया था। इसे तालिबान और अमेरिका का कट्टर दुश्मन माना जाता है। खोरासान शब्द एक प्राचीन इलाके के नाम पर आधारित है, जिसमें कभी उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और इराक का हिस्सा शामिल हुआ करता था। वर्तमान में यह अफगानिस्तान और सीरिया के बीच का हिस्सा है। आईएस के खोरासान मॉड्यूल को ‘खोरासान ग्रुप’ के नाम से भी जाना जाता है। इस ग्रुप में अलग विचारधारा रखने वाले आतंकी संगठन अलकायदा से जुड़े लोग शामिल हैं। इस ग्रुप को मुख्य तौर पर सीरिया, खोरासान से चलाया जाता है।
आईएस की नींव 2006 में बगदादी ने रखी थी। एक लंबी लड़ाई के बाद अमेरिका इराक को सद्दाम हुसैन के चंगुल से आजाद करा चुका था पर इस आजादी को हासिल करने के दौरान इराक पूरी तरह बर्बाद हो चुका था। अमेरिकी सेना के इराक छोड़ते ही बहुत से छोटे-मोटे गुट अपनी ताकत की लड़ाई शुरू करने लगे, उन्हीं में से एक गुट का नेता था अबू बकर अल बगदादी। अल-कायदा इराक का प्रमुख, वो 2006 से ही इराक में अपनी जमीन तैयार करने में लगा था, लेकिन तब ना उसके पास पैसे थे, ना कोई मदद और ना ही लड़ाके थे।