Germany on Arvind Kejriwal: अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर नरेंद्र मोदी सरकार का रुख भांपते हुए जर्मनी ने यू-टर्न ले लिया है। शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा हिरासत में लिए गए केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका और जर्मनी ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी जो भारत सरकार को रास नहीं आई थी। इन देशों ने भारत के आंतरिक मामले में कमेंट करते हुए केजरीवाल की गिरफ्तार पर अपनी चिंताए प्रकट की थी।
जर्मनी के सुर बदले
इसके चलते भारत ने कड़ी आपत्ति जताने के लिए सीनियर अमेरिकी राजनयिक को तलब किया था। इसके तुरंत बाद जर्मनी ने बुधवार को साफ कर दिया है कि ये भारत का आंतरिक मामला है। इतना ही नहीं जर्मनी ने इस मुद्दे और भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
भारत ने जताई थी कड़ी आपत्ति
भारत ने पिछले दिनों ही साफ कर दिया था कि जर्मन प्रवक्ता की टिप्पणी भारतीय नजरिए से उचित नहीं है। इस टिप्पणी का मतलब है कि जर्मनी भारतीय न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करके देख रहा है। इसके चलते भारत ने जर्मन राजनयिक को तलब भी किया था।
जर्मन प्रवक्ता क्या बोले
भारत के विदेश मंत्रालय की इस जवाबी कार्रवाई के परिणाम सामने आए हैं। इस मामले में अब जर्मन प्रवक्ता ने केजरीवाल के मामले पर टिप्पणी नहीं करने का फैसला किया है।
इस दौरान जर्मन प्रवक्ता ने भारतीय संविधान की तारीफ की जो बुनियादी मानव अधिकारों और स्वतंत्रता की गारंटी देता है। उन्होंने कहा कि, हम एक रणनीतिक भागीदार के रूप में भारत के साथ इन लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करते हैं।
लोकतांत्रिक देशों पर बयान देने में बरतनी होगी जिम्मेदारी
जर्मन प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों को कानून की उचित प्रक्रिया पर साथी लोकतंत्रों पर टिप्पणी करने में बहुत सावधानी बरतनी होगी। नई दिल्ली ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि तीसरे देशों के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से बुरी मिसालें पैदा होंगी।
हालांकि अमेरिका की ओर से एक बार कमेंट आ गया है। अमेरिका ने पुरानी बात को दोहराते हुए कहा है कि वो केजरीवाल के लिए ‘निष्पक्ष, पारदर्शी, समय पर कानूनी प्रक्रिया का पालन करने की उम्मीद कर रहा है।