European Union: एक चुनाव ऐसा भी है, जिसमें 27 देशों के लोग वोट डालते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं यूरोपीय यूनियन के बारे में, जिसमें 27 सदस्य देश मौजूद हैं। इन 27 देशों में कुल 37 करोड़ 30 लाख रजिस्टर्ड वोटर हैं। बता दें, यूरोपियन पार्लियामेंट के लिए 6 जून से वोटिंग शुरू हो चुकी है। मतदान प्रक्रिया 6 जून से 9 जून तक चलेगी। आइए इसकी चुनावी प्रक्रिया के बारे में जान लेते हैं।
4 दिनों तक चलता है चुनाव
यूरोपियन पार्लियामेंट के लिए हर पांच साल में चुनाव होते हैं। ये चुनाव पूरे चार दिन चलते हैं। इसके पीछे कारण ये है कि अलग-अलग ईयू देश अपने हिसाब से मतदान का आयोजन करते हैं। कुछ देशों में ये एक ही दिन में पूरा हो जाता है। वहीं, कुछ देशों में एक से ज्यादा दिन लग जाते हैं। वोटिंग के लिए निर्धारित उम्र का प्रभाव भी इस पर पड़ता है। ईयू के 21 सदस्य देशों में वोटिंग की उम्र 18 साल और उसके ऊपर है, लेकिन बेल्जियम, जर्मनी ऑस्ट्रेलिया और माल्टा जैसे देशों में मतदान की उम्र 16 साल कर दी गई है और ग्रीस में चुनाव की उम्र 17 साल हो चुकी है।
EU के नागरिकों को मिलती है ये सुविधा
यूरोपीय यूनियन के नागरिक अपने देश के अलावा विदेश में भी वोट डाल सकते हैं। हालांकि, चेक, आयरलैंड, माल्टा और स्लोवाकिया में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। यूरोपीय पार्लियामेंट के लिए अर्ली वोटिंग पूरी हो चुकी है। अर्ली वोटिंग के लिए यहां के प्रत्याशी अलग-अलग जगह पर अपना चुनावी अभियान चला रहे है। इस बार 720 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। ईयू के सदस्य पांच सालों के लिए चुने जाते हैं। फिर ये सदस्य अपना प्रेसिडेंट चुनते हैं।
ऐसे काम करती है यूरोपीय संसद
यूरोपीय संसद के तीन अंग हैं, जो क्रमश: यूरोपीय कमीशन, यूरोपीय संघ और यूरोपीय काउंसिल हैं। ये यूरोप के 27 देशों से बनी एक संस्था है। इस संस्था का काम ईयू के नियम कानूनों को लेकर सदस्य देशों के बीच बातचीत और समन्वय को स्थापित करना है। यूरोपीय संसद ही ईयू का बजट तय करती है। यूरोपीय संघ दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारिक ब्लॉक है। इसकी दिशा और दशा को तय करने वाली संसद ही है। बता दें, सभी सदस्य देशों की कुल GDP करीब $18.5 ट्रिलियन है। ये विश्व व्यापार का 15% हिस्सा है।
ये हैं EU के चुनावी मुद्दे
- यूक्रेन-रूस युद्ध के साथ साथ गाजा के हालात
- क्लाइमेट चेंज और इमीग्रेशन बहुत बड़ा मुद्दा
- यूरोप के कई देशों में इमीग्रेशन को लेकर सख्त नीति अपनाने की वकालत
- सीरिया और अफगानिस्तान आदि जैसे देशों से आने वालों इमिग्रेंट्स का भार
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