आपने अक्सर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) और सीबीआई (Central Bureau of Investigation) की छापेमारी के बारे में टीवी या फिर सोशल मीडिया के माध्यम से देखा या सुना ही होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये जांच एजेंसियां जब्त किए गए करोड़ों रुपये, संपत्ति के कागजात और गहनों को कहां रखती हैं, किसके खाते में जमा करती हैं? आपको बता दें, ED और CBI द्वारा जब्त किए गए एक-एक नोट का हिसाब रखा जाता है, लेकिन बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि जब्त किए गए पैसे कहां जाते हैं और इसे किसलिए इस्तेमाल किया जाता है। तो आइए जानते हैं आखिर बड़ी मात्रा में जब्त किया यह पैसा जाता कहां है और इस पर किसका अधिकार होता है।
कैसे मिला ED को संपत्ति जब्त करने का अधिकार
सबसे पहला सवाल यह उठता है कि आखिर ED को छापा मारने का अधिकार कैसे प्राप्त हुआ है। दरअसल, प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) 2002 के तहत प्रवर्तन निदेशालय को संपत्ति जब्त करने का अधिकार है। बता दें, जांच एजेंसियां आय से अधिक संपत्ति, मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध संपत्ति रखने जैसे मामलों में कार्रवाई करते हुए छापेमारी करती हैं। साल 2019 में पीएमएलए एक्ट लागू होने के बाद से ED ने देशभर में ताबड़तोड़ छापेमारी की है, जिसमें पश्चिम बंगाल का शिक्षक भर्ती घोटाला, झारखंड का अवैध खनन घोटाला आदि शामिल है। मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक ED ने देशभर में छापेमारी से करीब 1.04 लाख करोड़ रुपये की नकदी के अलावा सैकड़ों किलोग्राम सोने-चांदी के गहने भी जब्त कर चुकी है।
जब्त किए गए सामान का क्या होता है?
ED या CBI जब किसी पर छापेमारी करती है तो जब्त की गई चीजों जैसे- कैश, गहने और प्रॉपर्टी का पंचनामा बनाया जाता है। ED सभी चीजों की डिटेल लिस्ट बनाकर उसे अपने कब्जे में ले लेती है। पंचनामा और जब्त सामान की डिटेल पर जब्त होने वाले व्यक्ति और अन्य दो गवाहों के हस्ताक्षर होते हैं।
ED के द्वारा जब्त की गई संपत्ति
अगर किसी छापेमारी के दौरान प्रर्वतन निदेशालय प्रॉपर्टी के कागजात जब्त करता है, तो PMLA के सेक्शन 5 (1) के तहत संपत्ति को केवल 180 दिनों तक अटैच करने का अधिकार होता है। इस दौरान उसे अदालत में इन संपत्तियों से जुड़े आरोपों को सही साबित करना होता है। यदि वो कोर्ट में इसे सही नहीं ठहरा पाती तो प्रॉपर्टी रिलीज हो जाती है। कमर्शियल प्रॉपर्टी के मामले में अटैच होने के बाद भी आरोपी उसका उपयोग कर सकता है, जब तक कि उस पर कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता। वहीं, कोर्ट में केस खत्म होने और दोष सिद्ध हो जाने के बाद केंद्रीय एजेंसियां गहने, गाड़ियां, घर, फ्लैट और बंगले जैसे अचल संपत्ति को नीलाम कर सकती हैं। इतना ही नहीं, यदि इन मामलों के कारण किसी दूसरे पक्ष को किसी तरह का नुकसान हुआ हो तो उसके घाटे की पूर्ति इन्हीं नीलामी में मिले पैसों से की जाती है। उसके बाद जो भी पैसे बच जाते हैं, वो सरकारी खजाने में भेज दिए जाते हैं।
ED के द्वारा जब्त किए गए गहने और नोट
ED और CBI कहीं भी छापेमारी कर बरामद किए गए कैश को जब्त कर सकती है, लेकिन कानून के मुताबिक, वो इन पैसों का इस्तेमाल नहीं कर सकती। ED अगर रेड के दौरान सोने-चांदी के कीमती गहने और कैश बरामद करती है तो उसे सरकारी भंडारघर में जमा कर दिया जाता है। वहीं, छापेमारी के दौरान जो भी कैश बरामद किया जाता है, एक-एक नोट की पूरी जानकारी रखी जाती है। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत छापेमारी में जो भी पैसे जब्त किए जाते हैं, उसके लिए भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारियों को बुलाया जाता है। इस दौरान नोट गिनने की मशीन की मदद से नोटों की गिनती खत्म होने के बाद ED के अधिकारी बैंक अधिकारियों की मौजूदगी में जब्ती सूची तैयार करते हैं। इसके बाद जब्त हुई नगद राशि को ED के किसी भी सरकारी बैंक अकाउंट में जमा कर दिया जाता है।
अदालत करती है फैसला
ED के सामान और पैसा जब्त करने के बाद मामला कोर्ट में पहुंचता है। अगर कोर्ट में कार्रवाई सही साबित होती है, तो सारी संपत्ति पर सरकार का अधिकार हो जाता है। अगर जिस व्यक्ति के पास से सामान बरामद हुआ है वो उसे लीगल साबित करने के सभी सबूत अदालत में पेश कर दे, तो सारा सामान उस व्यक्ति को वापस लौटा दिया जाता है।