Waqf Amendment Bill in Rajya Sabha : राज्यसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के पारित होने के बाद लागू होने वाले कानून को नया नाम ‘उम्मीद’ (यूनिफाइड वक्फ़ मैनेजमेंट एम्पॉवरमेंट, एफिशियंसी एंड डवलपमेंट) अधिनियम दिया गया है। इस विधेयक के बारे में सरकार ने दावा किया कि इसके कारण देश के गरीब और पसमांदा मुसलमानों के साथ इस समुदाय की महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने में काफी मदद मिलेगी।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, वक्फ न्यायाधिकरण को मजबूत किया जाएगा, एक व्यवस्थित चयन प्रक्रिया होगी और सक्षम विवाद निस्तारण प्रक्रिया के लिए इसका निर्धारित कार्यकाल होगा। इसके अलावा, राज्य वक्फ बोर्ड में 11 सदस्य होंगे, जिनमें तीन से अधिक गैर मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।
इस विधेयक के पारित होने पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह विधेयक देश के गरीब मुसलमानों के कल्याण और उनके उत्थान में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों से वक्फ बोर्ड के तहत आने वाली संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के कारण देश के गरीब मुसलमानों का कल्याण हो सकेगा और उनके उत्थान में मदद मिलेगी।
केंद्रीय वक्फ़ परिषद में 22 होंगे सदस्य
उन्होंने कहा कि केंद्रीय वक्फ़ परिषद में 22 सदस्य होंगे। इसमें चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। इसमें तीन संसद सदस्य (सांसद) होंगे, 10 सदस्य मुस्लिम समुदाय के होंगे, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के दो पूर्व न्यायाधीश, राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त एक अधिवक्ता, विभिन्न क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त चार व्यक्ति, भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव भी होंगे। उन्होंने कहा कि इनमें मुस्लिम समुदाय के जो 10 सदस्य होंगे उनमें दो महिलाएं होना जरूरी है।
राज्य वक्फ बोर्ड में कौन होंगे सदस्य
वहीं राज्य वक्फ़ बोर्ड में 11 सदस्य होंगे। इनमें तीन से अधिक गैर मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे जिनमें से एक पदेन सदस्य होगा। बोर्ड में एक अध्यक्ष होगा, एक सांसद, एक विधायक, 4 मुस्लिम समुदाय के सदस्य, पेशेवर अनुभव वाले दो सदस्य, बार काउंसिल का एक सदस्य तथा राज्य सरकार का संयुक्त सचिव शामिल होगा। मुस्लिम समुदाय के चार सदस्यों में से दो महिलाएं होंगी।
इसके अलावा वक्फ (संशोधन) विधेयक के अनुसार वक्फ न्यायाधिकरण को मजबूत किया जाएगा, एक व्यवस्थित चयन प्रक्रिया होगी और सक्षम विवाद निस्तारण प्रक्रिया के लिए इसका निर्धारित कार्यकाल होगा। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार न्यायाधिकरण के निर्णयों को दीवानी वाद के जरिये चुनौती दी जा सकेगी।