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Waiter की नौकरी करते थे, अब बन गए IAS; इस अधिकारी के संघर्ष को सलाम

वो कहते हैं न, 'ज्वाला मेहनत की ऐसी होनी चाहिए कि हर मुसीबत जल-कर राख हो जाए।' K Jaiganesh ने भी कुछ ऐसी ही मेहनत की। Waiter की नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई करते रहे और जब UPSC का रिजल्ट आया तो उनके नाम के आगे लग चुका था IAS, अब उनका पूरा नाम है IAS K Jaiganesh, अब ऑफिस जाने के लिए मिल चुकी है कार। सरकारी कार। जिस पर लगी है लाल बत्ती…

‘Hi Waiter’, क्या खाओगे साहब! कुछ महीनों तक एक सवाल और एक ही जवाब था। लोग कहते थे Hi Waiter, आगे से जवाब आता क्या खाओगे साहब। जी हां, हम बात कर रहे हैं K jaiganesh की। पहले उनके नाम के आगे Waiter लगा होता था। उनकी कमीज पर K jaiganesh नाम लिखा होता था। हाथ में होती थी एक नोटबुक और एक पेन, जिस पर वो कस्टमर का ऑर्डर लिखते थे। साइकिल से नौकरी करने आते थे, लेकिन वो कहते हैं न, ‘ज्वाला मेहनत की ऐसी होनी चाहिए कि हर मुसीबत जल-कर राख हो जाए।’ K Jaiganesh ने भी कुछ ऐसी ही मेहनत की। Waiter की नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई करते रहे और जब UPSC का रिजल्ट आया तो उनके नाम के आगे लग चुका था IAS, अब उनका पूरा नाम है IAS K Jaiganesh, अब ऑफिस जाने के लिए मिल चुकी है कार। सरकारी कार। जिस पर लगी है लाल बत्ती… जब दफ्तर में आते हैं तो कई सैल्यूट करते है। हाथ में है जिले की कमान। उनका एक आदेश लाखों लोगों को प्रभावित कर सकता है। अब वो लाखों लोगों के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं।

IAS K Jaiganesh के संघर्ष की कहानी लाखों करोड़ों लोगों के लिए एक मिसाल है। संघर्ष और हौसले की बेजोड़ मिसाल है। वे मिसाल हैं उन लोगों के लिए, जो गरीबी का रोना रोकर… अपने हालात के आगे मजबूर होकर मेहनत नहीं करते हैं। जयगणेश एक गरीब परिवार में जन्मे… सिनेमा हॉल में 2500 रुपये प्रति माह की नौकरी की। बाद में रेस्टोरेंट में काम करने लगे और टेबल-टेबल घूमकर ग्राहकों से ऑर्डर लेने लगे।

के जयगणेश (K Jaiganesh) ने पॉलिटेक्निक करने के बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसी बीच पैसे की कमी की वजह से उन्होंने चेन्नई के सत्यम सिनेमा हॉल में 2500 रुपये प्रति महीने सैलरी की नौकरी की। इसी दौरान एक शख्स से मुलाकात हुई, जो यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। इस दौरान उन्होंने भी ठान लिया कि परिवार को अगर गरीबी के दल-दल से बाहर निकालना है तो इस परीक्षा में सफलता जरूरी है। फिर वो जुट गए तैयारी करने में।

तैयारी ठीक चल रही थी, लेकिन परिवार को पैसे देना उनकी मजबूरी थी। इसी बीच, उन्हें चेन्नई के एक रेस्टोरेंट में वेटर की नौकरी करनी पड़ी, लेकिन इस नौकरी में सैलरी कम थी, लेकिन एक अच्छी बात थी कि उन्हें पढ़ाई के लिए वक्त मिल जाता था। यहां से दोनों काम होने लगे। परिवार को पैसे भी दे दे और खुद पढ़ाई भी कर लेते।

ये दौर पूरे 6 साल तक चलता रहा। 6 साल तक उनकी नाकामयाबी का दौर जारी रहा। किस्मत उनकी परीक्षा बार-बार ले रही थी। वो हर बार असफल हो रहे थे, लेकिन वो कहावत है ना, हार नहीं मानूंगा। हार नहीं मानूंगा। के जयगणेश (K Jaiganesh) ने भी हार नहीं मानी। इसी बीच उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो की परीक्षा पास कर ली। घर में खुशी का माहौल था। सब लोग खुश थे लेकिन K Jaiganesh नहीं। उनकी जिद थी। जिद एक अधिकारी बनने की। उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो ज्वाइन करने से इनकार कर दिया।

वो लगे रहे अपनी तैयारी में। बिना रुके बिने थके। फिर दिया 7वीं बार एग्जाम। फिर वो हुआ, जिसका उनके परिवार को काफी लंबे समय से इंतजार था। K jaiganesh ने साल 2008 में यूपीएससी परीक्षा की सारी चुनौतियों को पार करते हुए 156वीं रैंक हासिल की।

कुछ दिन पहले एक मीडिया हाउस से बात करते हुए K Jaiganesh ने अपने उस दौर को याद किया। अब उनका एक सपना है। सपना है कि देश से गरीबी को मिटाने का, और सभी लोगों तक शिक्षा का संदेश फैलाने का।


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