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Mahashivratri: ये है भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का शुभ- मुहूर्त

Mahashivratri | worship | shreshth bharat

पूरे देशभर में आज (8 मार्च) महाशिवरात्रि के त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में ये पर्व विशेष महत्व रखता है। भोलेनाथ को खुश करने के लिए उनके भक्त व्रत रखते हैं। तो वहीं कई भक्त इस दिन पूजा-पाठ से शिवजी को खुश करने  की कोशिश करते है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, यह पर्व साल में एक बार, फाल्गुन मास (फरवरी-मार्च) की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिवजी का उपवास रखने का खास महत्व बताया जाता है।

अगर आप भी शिवजी के भक्त हैं तो आज उनकी पूजा पाठ करने का विशेष महत्व है। जानकार पंडित बताते हैं कि आठ मार्च यानि की आज रात 12 बजकर 05 मिनट से लेकर 9 मार्च को रात 12 बजकर 56 मिनट तक शिव की पूजा-अर्चना करने से भगवान ज्यादा खुश होंगे।

महाशिवरात्रि का महत्व:

मान्यता है कि इसी दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था। भगवान शिव ने ‘अग्निलिंग’ नामक विशालकाय स्वरूप धारण किया था, जिसके तेज से सृष्टि की शुरुआत हुई। कुछ लोगों का मानना ​​है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि को आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से मोक्ष प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि को उपवास रखने और भगवान शिव की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है। रात भर भजन-कीर्तन और जागरण का आयोजन किया जाता है। शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। महाशिवरात्रि का त्योहार भक्तों के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

पूजा-अर्चना:

इस दिन भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। उन्हें दूध, जल, बेल पत्र, धतूरा, भांग आदि चढ़ाते हैं। इसके बाद भगवान शिव के मंत्र “ऊं नमः शिवाय” का 108 बार जाप करते हैं। कई भक्त इस दिन उपवास भी रखते हैं।

भगवान शिव आरती:

ओम जय शिव ओमकारा, प्रभु जय शिव ओमकारा
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव, अर्धांगिनी धरा
ओम जय शिव ओमकारा…

एकानां चतुरानन पंचानन राजे
हंसानान, गरुड़ासन वृषभान सजे
ओम जय शिव ओमकारा…. दो
भुजा, चार चतुर्भुज दशाब हुजा अति सोहे
तिनोन रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे
ओम जय शिव ओमकारा…
अक्सामला वनमाला मुंडमाला
धारी चंदना मृगमद सोहै भले शशिधारी
जय शिव ओमकारा…
श्वेतांबरा पीतांबरा बाघंबरा अंगे
ब्रह्माधिक सनकाधिक प्रेताधिक संगे
ओम जय शिव ओम कारा…

कारा मध्येकमण्डलु औ त्रिशूल धारी
जगकर्ता जगहर्ता जगपालन कर्ता
जय शिव ओंकारा…

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जनता अविवेक प्रणवकसार्के मधायतीनोंह
एक ओम जय शिव ओंकारा…

त्रिगुण स्वामी की आरती जो कोई नर
दे कहाता शिवानंद स्वामी मन वंचित फल पावे
जय शिव ओंकारा…


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