भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करने का फैसला किया है, जिससे यह 6.25 प्रतिशत हो गई है। यह मई 2020 के बाद पहली दर कटौती है।
आरबीआई के फैसले के पीछे क्या कारण है?
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने जोर देकर कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी आई है और वित्त वर्ष 26 में लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि खाद्य कीमतों पर अनुकूल दृष्टिकोण और पिछले मौद्रिक नीति कार्यों के निरंतर प्रसारण से मुद्रास्फीति में कमी आई है।
आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
आरबीआई के इस कदम से उधारकर्ताओं को राहत मिलने और आने वाले महीनों में खपत और निवेश को बढ़ावा मिलने की संभावना है। वित्त वर्ष 25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.4 प्रतिशत लगाया गया है, जिससे कृषि और विनिर्माण में सुधार से दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधि में तेजी आने की उम्मीद है।
मुद्रास्फीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
आरबीआई को उम्मीद है कि मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 25 में 4.8 प्रतिशत तक कम हो जाएगी और वित्त वर्ष 26 में 4.2 प्रतिशत रहेगी। यह मुद्रास्फीति के आरबीआई के 4 प्रतिशत लक्ष्य सीमा के भीतर रहने की उम्मीद है।
भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2026 के लिए देश की विकास दर 6.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई है। वित्त वर्ष 2026 के लिए रियल GDP ग्रोथ 6.75%, अप्रैल-जून 2025 तिमाही 6.7%, जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही में 7% रहने का अनुमान है। वहीं अक्टूबर-दिसंबर 2025 और जनवरी-मार्च 2026 तिमाही में इसके 6.5-6.5% रहने का अनुमान है।