RBI: भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने बैंक एजेंटों पर नकेल कसी है। अब एजेंटों को कर्ज लेने वाले ग्राहकों को लोन ऑफर की पूरी जानकारी देनी होगी। कई कर्ज सेवा प्रदाता यानी एलएसपी कर्ज उत्पादों के लिए एकत्रीकरण सेवाएं मुहैया कराते हैं। बैंक ने 31 मई तक हितधारकों से मसौदा पर राय मांगी है।
उधार देना हो सकता है चिंता का विषय
आरबीआई ने कहा कि ऐसे ग्राहकों को उधार देना चिंता का विषय हो सकता है, जो कर्जदाता के निर्णय को नियंत्रित करने या प्रभावित करने की स्थिति में हैं और यदि ऋणदाता ऐसे उधारकर्ताओं से दूरी नहीं रखता है। बैंक का मानना है कि इस तरह के कर्ज में नैतिक खतरे शामिल हो सकते हैं। आशंका है कि इससे मूल्य निर्धारण और ऋण प्रबंधन में समझौता हो सकता है।
RBI invites comments on the Draft Circular on “Digital Lending – Transparency in Aggregation of Loan Products from Multiple Lenders”https://t.co/y5eIqmbjaK
— ReserveBankOfIndia (@RBI) April 26, 2024
ग्राहकों को मिलेगी डिजिटल जानकारी
आरबीआई के मसौदे में प्रस्ताव है कि कर्ज सेवा प्रदाता जिन भी बैंक या वित्तीय संस्थान के साथ काम कर रहा है, कर्ज लेने वाले व्यक्ति की जरूरतों के अनुसार उपलब्ध सभी लोन ऑफर्स को डिजिटल तरीके से उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसमें लोन ऑफर्स वाले संस्थान का नाम, कर्ज की रकम, अवधि, वार्षिक ब्याज और अन्य नियम एवं शर्तें शामिल होनी चाहिए।
RBI ने लघु वित्त बैंकों को यूनिवर्सल बैंकों में बदलने के लिए बनाए मानदंड
आरबीआई ने कुछ प्रावधान निर्धारित किए हैं, जिन्हें पूरा करते हुए लघु वित्त बैंक (एसएफबी) स्वेच्छा से खुद को यूनिवर्सल बैंकों में परिवर्तित कर सकते हैं। इस तरह का रूपांतरण यूनिवर्सल बैंकों पर लागू निवल मूल्य की आवश्यकता को पूरा करने, न्यूनतम पांच वर्षों की अवधि के लिए प्रदर्शन का संतोषजनक ट्रैक रिकॉर्ड और आरबीआई के उचित परिश्रम अभ्यास के अधीन होगा।
पारगमन का इरादा रखने वाले बैंक के पास अपने शेयर किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने चाहिए; पिछली तिमाही (लेखापरीक्षित) के अंत में न्यूनतम शुद्ध संपत्ति 1,000 करोड़ रुपये हो और पिछले दो वित्तीय वर्षों में शुद्ध लाभ हुआ हो। आरबीआई ने कहा कि पात्र बैंक को इस तरह के बदलाव के लिए विस्तृत तर्क प्रस्तुत करना होगा।