Ram Navami 2024: रामनवमी आज पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है। रामनवमी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान राम की पूजा की जाती है। विद्वानों का कहना है कि रामनवमी के दिन विष्णु भगवान ने राम जी के रूप में अपना 7वां अवतार लिया था। रामनवमी के दिन भगवान राम के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन लोगों का 8 दिन का व्रत पूरा होता है।
रामनवमी का व्रत रखने से शुभ फल की होती है प्राप्ति
रामनवमी के व्रत को रखने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। हमें रामलला की पूजा करने के लिए विशेष विधि और शुभ मुहूर्त का पूरा ध्यान रखना चाहिए। रामनवमी मनाने का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगा, जो करीब दोपहर के 12 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। आइए, जानते हैं कि रामनवमी के दिन कैसे करें पूजा…
पूजा करते समय पीले वस्त्रों को करें धारण
रामनवमी की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर घर और मंदिर की साफ-सफाई करें। उसके बाद स्नान करके पीले वस्त्रों को धारण करें। घर के द्वार पर रंगोली बनाएं। अशोक के पत्तों और फूलों की माला लगाएं। रामलला की पीतल की मूर्ति लेकर शुद्ध जल में गंगाजल डालकर स्नान कराएं। उसके बाद राम जी को वस्त्र पहनाएं और हल्दी, चंदन, कुमकुम और चावल का तिलक लगाएं। उसके बाद मंदिर में घी का दीपक जलाएं। राम जी को पंजीरी, खीर और उचित मेवा मिष्ठान का भोग लगाएं। राम जी की आरती के साथ-साथ सुंदरकांड को भी पढ़ें। पूजा में शामिल सभी भक्तों को प्रसाद अर्पित करें।
राम जी के लिए मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं रां रामाय नमः॥ हुं जानकी वल्लभाय स्वाहा । ॐ जानकीकांत तारक रां रामाय नमः॥
राम जी की दूसरी आरती
आरती कीजे श्रीरामलला की । पूण निपुण धनुवेद कला की ।।
धनुष वान कर सोहत नीके । शोभा कोटि मदन मद फीके ।।
सुभग सिंहासन आप बिराजैं । वाम भाग वैदेही राजैं ।।
कर जोरे रिपुहन हनुमाना । भरत लखन सेवत बिधि नाना ।।
शिव अज नारद गुन गन गावैं । निगम नेति कह पार न पावैं ।।
नाम प्रभाव सकल जग जानैं । शेष महेश गनेस बखानैं
भगत कामतरु पूरणकामा । दया क्षमा करुना गुन धामा ।।
सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा । राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ।।
खेल खेल महु सिंधु बधाये । लोक सकल अनुपम यश छाये ।।
दुर्गम गढ़ लंका पति मारे । सुर नर मुनि सबके भय टारे ।।
देवन थापि सुजस विस्तारे । कोटिक दीन मलीन उधारे ।।
कपि केवट खग निसचर केरे । करि करुना दुःख दोष निवेरे ।।
देत सदा दासन्ह को माना । जगतपूज भे कपि हनुमाना ।।
आरत दीन सदा सत्कारे । तिहुपुर होत राम जयकारे ।।
कौसल्यादि सकल महतारी । दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ।।
सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई । आरति करत बहुत सुख पाई ।।
धूप दीप चन्दन नैवेदा । मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ।।
राम लला की आरती गावै । राम कृपा अभिमत फल पावै ।।