Name Plate Controversy: योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा के रास्ते पर पड़ने वाली दुकानों के मालिकों को नाम लिखने का आदेश दिया था। इस आदेश का शुरुआत से ही विवाद हो रहा था। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इसके खिलाफ याचिका भी दायक की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके बाद से ही सियासत और भी ज्यादा गरमा गई है। एक के बाद एक राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। उनका कहना है कि कोर्ट के फैसले से बेहद खुश हैं।
महुआ मोइत्रा ने कही ये बात
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि “मुझे खुशी है कि हमने कल याचिका दायर की थी और आज सुप्रीम कोर्ट में यह मामला आया। यह हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ एक पूरी तरह से असंवैधानिक आदेश है। इस आदेश पर रोक है और मालिकों और कर्मचारियों की पहचान और नाम प्रदर्शित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। दुकानों में केवल शाकाहारी/मांसाहारी चिह्न ही लगाया जाना है।”
सौरभ भारद्वाज ने कहा “भारतीय नामों में व्यक्ति की जाति छिपी (Name Plate Controversy) होती है। छुआछूत और कुछ जातियों के खिलाफ भेदभाव की यह कुप्रथा भारतीय समाज में हमेशा से मौजूद रही है। इस आदेश ने एक तरह से जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव के लिए आधार तैयार किया। सरकार को ऐसी चीजों से दूर रहना चाहिए।
वहीं, दूसरी ओर भाजपा सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा का कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कोई भी आपत्ति नहीं है, कोर्ट जो भी फैसला लेगा, उसे स्वीकार किया जाएगा। लेकिन अपनी पहचान बताने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। जब हम प्रतियोगी परीक्षा पास करते हैं और आईएएस अधिकारी बनते हैं, तो हम अपने नाम के साथ आईएएस लिखते हैं। मुझे लगता है कि लोगों को इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
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