Manisha Dharve success story: यूपीएससी ने 16 मई को सिविल सेवा परीक्षा 2023 का रिजल्ट घोषित किया है। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के एक छोटे से गांव बोंदरान्या की रहने वाली मनीषा धार्वे ने UPSC में 275वीं रैंक हासिल की है। जब रिजल्ट घोषित हुआ तब मनीषा दिल्ली में ही थी। मनीषा को यह सफलता उनके चौथे प्रयास में मिली है। मनीषा ने पहली बार 2020 में UPSC का एग्जाम दिया था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। बार-बार असफलता मिलने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और 2023 में उनका कलेक्टर बनने का सपना साकार हुआ है। जैसे ही बेटी के UPSC में सेलेक्ट होने की खबर गांव और परिवार वालों को मिली तो सभी खुशी से झूम उठे।
माता-पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक
मनीषा धार्वे पहली आदिवासी लड़की है, जिन्होंने UPSC का एग्जाम पास किया है। बता दें कि मनीषा के माता-पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। शिक्षक बनने से पहले मनीषा के पिता इंदौर में एक संस्था में इंजीनियर थे। मनीषा घर की बड़ी बेटी है और उनका एक छोटा भाई विकास धार्वे है, जो मनीषा के साथ रहकर दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कर रहा है।
प्रारंभिक शिक्षा गांव के आंगनबाड़ी से
मनीषा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के आंगनबाड़ी से की थी। उसके बाद नौवीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई खरगोन के उत्कृष्ट स्कूल से की थी। मनीषा को 10वीं में 75 फीसदी, जबकि 12वीं में 78 फीसदी अंक मिले थे। मनीषा को पहले से ही गणित और विज्ञान में रुचि थी। उन्होंने इंदौर के होलकर कॉलेज से बीएससी कम्प्यूटर की डिग्री प्राप्त की थी और वह इसी के साथ वहीं पर पीएससी की तैयारी भी कर रही थी। उनके साथियों ने मनीषा को सुझाव दिया कि उन्हें UPSC की तैयारी करनी चाहिए। उनकी बातों को सुनने के बाद मनीषा ने कलेक्टर बनने का मन बना लिया और वह UPSC की तैयारी करने के लिए दिल्ली आ गईं। शुरूआती दौर में मनीषा ने कई कॉचिंग संस्थानों में पढ़ाई की। बाद में सेल्फ स्टडी करना शुरू कर दिया।
मनीषा ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली जाना था, लेकिन घरवाले नहीं मानें। घर वालों को डर था कि दिल्ली जैसे बड़े शहर में अकेले कैसे रहेगी। बाद में बिना परिवार वालों को बताए मनीषा दोस्त के साथ दिल्ली आ गईं। यहां कोचिंग और रहने की सभी व्यवस्थाएं देखी और फिर घर लौटकर माता-पिता को इस बारे में बताया। इससे माता-पिता को भरोसा हो गया कि मनीषा दिल्ली में रह लेंगी, जिसके बाद उन्होंने डिग्री पूरी होने के बाद उन्हें दिल्ली भेज दिया।