Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण की वोटिंग 1 जून को होनी है। आखिरी चरण की वोटिंग वाले ही दिन इंडिया गठबंधन ने अपने सभी 28 दलों की बैठक बुला ली है। क्या चुनाव खत्म होने के पहले विपक्ष का इंडिया गठबंधन मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने लगा है या फिर जमीन से वाकई कुछ ऐसे संकेत हैं कि इंडिया गठबंधन कांटे की लड़ाई में आ गया है और उसने चुनाव के आखिरी दिन ही सरकार बनाने की रणनीति पर विचार करने की ठान ली है।
खटाखट, खटाखट, खटाखट.. कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के नेता जिस तरह चुनाव प्रचार में ऐसी बातें कर रहे हैं, उसी तरह की कोशिश सरकार बनाने के लिए भी करने लगे हैं। चुनाव खत्म हुआ नहीं कि खटाखट, खटाखट, खटाखट रणनीति बनाने लगे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 1 जून को इंडिया गठबंधन के घटक दलों की बैठक बुलाई है। जिसमें शरद पवार, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे, एम के स्टालिन, अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी जैसे नेताओं को बुलाया गया है, लेकिन ममता बनर्जी ने इस बैठक में आने से इनकार कर दिया है। ममता बनर्जी ने इसके दो कारण बताए हैं। ममता बनर्जी का कहना है कि 1 जून को पश्चिम बंगाल की 9 लोकसभा सीटों पर मतदान है। दूसरा पश्चिम बंगाल में रेमल तूफान की वजह से नुकसान हुआ है राहत और बचाव काम देखना है। इस वजह से वो इस बैठक में नहीं आ पाएंगी।
इंडिया गठबंधन की बैठक को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं। 1 जून को देश की 57 लोकसभा सीटों पर वोटिंग बाकी है। ऐसे में 1 जून को वोटिंग वाले दिन बैठक बुलाने की क्या जरूरत है। जानकार इसके कई कारण बता रहे हैं। इसमें एक ये भी हो सकता है कि इंडिया गठबंधन आखिरी चरण की वोटिंग से पहले मतदाताओं में ये मैसेज देने की कोशिश कर रहा हो कि उसे बहुमत मिल रहा है और वो सरकार बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसलिए लास्ट फेज में उनको कुछ फायदा हो सके।
इस रणनीति को अमित शाह के उन बयानों से समझा जा सकता है, जिनमें वो चौथे चरण के बाद लगातार कहने लगे हैं कि एनडीए को बहमुत मिल चुका है। एनडीए 310 सीटें पक्की कर चुका है। अब 400 पार की तरफ जा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी और जयराम रमेश भी दावा करने लगे हैं कि चुनाव में इंडिया गठबंधन को बहुमत मिल रहा है। छठे चरण के चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन 272 से ज्यादा सीटें जीत रहा है। लाजिमी है सभी नेता अपने कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए ऐसे दावे कर रहे हैं। पहले चरण के बाद मोदी और अमित शाह ने अबकी बार 400 पार का नारा देना बंद कर दिया था, लेकिन चौथे औऱ पांचवे चरण के बाद ये नारा फिर सुनाई देने लगा है। मतलब दोनों तरफ से ताल ठोकी जा रही है। बीजेपी अगर अबकी बार 400 पार का जोश फिर से भरने लगी है तो अखिलेश यादव कह रहे हैं कि अबकी बार बीजेपी की 400 सीटों पर हार। विपक्ष के नेता कह रहे हैं बीजेपी दक्षिण में साफ, उत्तर में हाफ ऐसे में इंडिया गठबंधन की 1 जून की बैठक को लेकर कई मायने निकाले जा सकते हैं।
दरअसल, ये एक जून आखिर इतना महत्वपूर्ण क्यों हो गया है। हर तरफ 1 जून को होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक की चर्चा हो रही है। इंडिया गठबंधन ने इस बैठक का एजेंडा सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन सियासी जानकार इस बैठक के एजेंडे का अपने-अपने अंदाज में आकलन कर रहे हैं।
विपक्ष के कई नेता कह रहे हैं कि इंडिया गठबंधन की बैठक में 7 चरण में हुए चुनाव के दौरान अपने प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा। इसमें इंडिया ब्लॉक के सभी बड़े नेता अपनी पार्टी की परफॉर्मेंस के बारे में बताएंगे और भविष्य के लिए रणनीति बनाने को लेकर चर्चा होगी। बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे लगातार ममता बनर्जी के संपर्क में हैं। ममता बनर्जी साफ तौर पर कह चुकी हैं कि वो इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। उनका कहना है कि विपक्ष का इंडिया गठबंधन बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गठबंधन का नाम इंडिया भी उन्होंने ही रखा था। हालांकि कुछ दिन पहले ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर केंद्र में सरकार बनाने में इंडिया गठबंधन कामयाब होता है तो उनकी पार्टी विपक्षी गठबंधन को बाहर से समर्थन देगी।
बेशक इंडिया गठबंधन की बैठक का एजेंडा 4 जून को आने वाले चुनाव परिणाम और सभी सातों चरणों में विपक्ष के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना है, लेकिन इससे ज्यादा चुनौती 28 दलों वाले गठबंधन को एकजुट रखना और सरकार बनाने की स्थिति में आने पर हर स्थिति का मुकाबला करने की है क्योंकि इंडिया गठबंधन के सामने बीजेपी है। वो किसी भी हालत में गोवा विधानसभा और मेघालय का इतिहास नहीं दोहराना चाहेगी, जिसमें कांग्रेस से फैसला लेने में देरी हुई और बीजेपी ने वहां सरकार बना डाली।
चुनाव शुरू हुआ था तो विपक्ष का इंडिया गठबंधन कहीं लड़ाई में ही नहीं दिख रहा था। विपक्ष के कई नेता धड़ाधड़ बीजेपी में शामिल हो रहे थे। बीजेपी आत्मविश्वास के रथ पर सवार होकर अबकी बार 400 पार का नारा दे रही थी। इतना आत्मविश्वास कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी में संसद में ये दावा कर डाला कि अबकी बार- 400 पार। तब तक विपक्ष के गठबंधन फाइनल नहीं हुए थे। जनवरी के आखिर में नीतीश कुमार विपक्ष का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ चले गए। फरवरी-मार्च तक चुनाव बिल्कुल एकतरफा लग रहा था, लेकिन यूपी में अखिलेश और राहुल के गठबंधन और महाराष्ट्र-बिहार में इंडिया के घटक दलों ने ऐसा चुनाव लड़ा कि रंगत ही बदल गई। चुनाव के पहले टूटा-फूटा विपक्ष चुनाव के दौरान एकजुट दिखने लगा। हालांकि, कहा ये भी जा रहा है कि विपक्ष के नेताओं से ज्यादा जनता ने अपने कंधों पर ये चुनाव लड़ा है। इसलिए इन परिस्थितियों में विपक्ष के इंडिया गठबंधन का खोया हुआ आत्मविश्वास लौटा है।
1 जून को होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक को विपक्ष का खोया हुआ विश्वास लौटना कहा जाए या फिर अति आत्मविश्वास, लेकिन सभी पार्टियों को अपनी रणनीतियां बनाने का अधिकार है। चुनाव के आखिरी चरण के साथ अब सभी की निगाहें 4 जून के नतीजों पर लगी हैं।