Medha Patkar Defamation Case: दिल्ली की एक अदालत ने मानहानि के मामले में सोमवार (29 जुलाई) को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की 5 महीने की जेल की सजा को निलंबित कर दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ 23 साल पहले दिल्ली के मौजूदा उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मानहानि का केस दर्ज कराया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को 25,000 रुपये के बेल बांड और श्योरिटी पर जमानत दे दी है। इसके साथ ही अदालत ने एलजी वीके सक्सेना को नोटिस जारी किया है।
1 जुलाई को सुनाई 5 महीने की सजा
बता दें, इससे पहले दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना के द्वारा 2001 में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर के खिलाफ मानहानि का केस दायर कराया गया था, जिस पर 1 जुलाई को साकेत कोर्ट ने मेधा पाटेकर को आरोपी घोषित करते हुए 5 महीने की सजा और 10 लाख का जुर्माना लगाया था।
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क्या था पूरा मामला
साल 2003 सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ को लेकर सक्रिय थीं। उसी वक्त वी के सक्सेना नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज में एक्टिव थे। उन्होंने उस वक्त मेधा पाटकर की आंदोलन का तीखा विरोध किया था। मानहानि का पहला मामला इसी से जुड़ा हुआ है। मेधा पाटकर ने अपने और नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन को लेकर वी के सक्सेना के खिलाफ मानहानि केस किया था। वहीं सक्सेना ने अपमानजनक बयानबाजी करने के लेकर मेधा पाटकर पर मानहानि के दो केस दर्ज कराए थे।