Modi Govt: देश में इस समय लोकसभा चुनाव का त्योहार मनाया जा रहा है। हर बार की तरह लोकसभा चुनाव में इस बार रोजगार एक बार फिर प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट दावा किया गया है कि भारत के बेरोजगार कार्यबल में 83 प्रतिशत युवा हैं। लेकिन अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण करने पर सामने आया है कि मोदी सरकार के पिछले कुछ वर्षों के दौरान नौकरियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और बेरोजगारी की दर में गिरावट दर्ज की गई है।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS), कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), नेशनल करियर सर्विसेज (NCS) पोर्टल और केंद्र सरकार की विभिन्न रोजगार केंद्रित योजनाओं के आंकड़े नौकरियों में वृद्धि और बेरोजगारी दर में गिरावट दर्शाते हैं। PLFS का पिछले छह साल का आंकड़ा श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) और श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) में सुधार की प्रवृत्ति का संकेत देता है। इसके आंकड़ों से पता चलता है कि देश में रोजगार 2017-18 के 46.8 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 56 प्रतिशत हो गया है।
क्या कहते हैं आंकड़े
इसी तरह श्रम बल भागीदारी भी 2017-18 के 49.8 फीसदी से बढ़कर 2022-23 में 57.9 फीसदी हो गया है। इन छह वर्षों की अवधि में बेरोजगारी दर में करीब तीन फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है और यह 2017-18 के 6 प्रतिशत से गिरकर 2022-23 में 3.2 फीसदी पर आ गई। आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में श्रम बल भागीदारी दर 2.7 प्रतिशत के मुकाबले श्रमिक जनसंख्या अनुपात में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो मांग की तुलना में अधिक नौकरियों को दर्शाता है।
8% गिरी बेरोजगारी दर
2017-18 में युवाओं में बेरोजगारी दर 17.8 फीसदी थी जो घटकर 2022-23 में 10 फीसदी रह गई। इस दौरान महिलाओं के बीच बेरोजदारी दर में भी उल्लेनीय गिरावट दर्ज की गई और यह 2017-18 में 5.6 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.9 प्रतिशत रह गई।
EPFO से 6.1 करोड़ नए सदस्य जुड़े
EPFO के आंकड़ों के मुताबिक बीते 6 वर्षों के दौरान EPFO से 6.1 करोड़ नए सदस्य जुड़े। RBI की ओर से जारी नवीनतम केएलईएमएस डाटाबेस से भी पता चलता है कि 9 वर्षों में देश में अनुमानित रोजगार 2013-14 में 47 करोड़ से बढ़कर 2021-22 में 55.3 करोड़ हो गया है। इसी तरह कंपनियों और कर्मचारियों को एक मंच पर लाने के लिए सरकार की ओर से शुरू किए गए राष्ट्रीय कैरियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल में 2022-23 की तुलना में 2023-24 में नौकरी रिक्तियों में 214 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।