उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की घोषणा हो चुकी है। प्रदेश की 80 सीटों में से 63 में समाजवादी पार्टी जबकि 17 सीटों पर कांग्रेस पार्टी अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है। कांग्रेस की मुसीबत गठबंधन के बाद भी कम होती नहीं दिख रही क्योंकि अमेठी और रायबरेली में उम्मीदवार कौन होगा इस पर अभी भी संशय बरकरार है।
अमेठी और रायबरेली से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मैदान में उतरेंगे या कोई नया नाम आएगा अभी इसी बात पर चर्चा हो रही है। लेकिन इसके बीच जानकार बता रहे हैं कि 9 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम कांग्रेस आला कमान ने करीब करीब तय कर दिए हैं और इस पर संसदीय बोर्ड की बैठक में मोहर लगना बाकी है कांग्रेस ने गठबंधन से पहले जो सूची तैयार की थी उसमें 30 उम्मीदवार के नाम थे। सूत्रों की माने तो बनारस से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को फिर से चुनावी मैदान में उतर जा सकता है अजय राय पहले भी पीएम मोदी के खिलाफ साल 2019 में चुनाव लड़ चुके हैं जहां उन्हें करीब 15 फ़ीसदी वोट मिले थे। सहारनपुर की अगर बात की जाए तो 2019 के चुनाव में इमरान मसूद तीसरे स्थान पर थे इस बार उन्हें फिर से कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार बनाने जा रही है।
अमरोहा से बीएसपी से निष्कासित किए गए सांसद दानिश अली कांग्रेस के प्रत्याशी हो सकते हैं सीतापुर में भाजपा से इस्तीफा देकर वाया सपा कांग्रेस में आए पूर्व विधायक राकेश राठौर कांग्रेस के उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे हैं। बाराबंकी से तनुज पुनिया, झांसी से पूर्व सांसद प्रदीप जैन आदित्य गाजियाबाद से डॉली शर्मा महाराजगंज से विधायक वीरेंद्र चौधरी और फतेहपुर सीकरी से रामनाथ सिकरवार को पार्टी चुनाव लड़ा सकती है कानपुर नगर से आलोक मिश्रा अजय कपूर शरद मिश्रा के नाम पर गंभीर मंथन किया जा रहा है। मथुरा से पूर्व एमएलसी प्रदीप माथुर और पंडित राजकुमार रावत के नाम की चर्चा है। देवरिया से अखिलेश प्रताप सिंह और अजय लल्लू में से किसी एक को पार्टी अपना उम्मीदवार बना सकती है। बांसगांव से कमल किशोर, बुलंदशहर में बंसी सिंह प्रयागराज से पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह या फिर पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव उम्मीदवार हो सकते हैं।
हालांकि अधिकृत घोषणा अभी नहीं हुई है लेकिन पार्टी सूत्रों की माने तो 17 सीटों की उम्मीदवारों के नाम संसदीय बोर्ड में जल्द ही रखे जाएंगे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के राज सभा जाने के बाद रायबरेली पर देशभर की निगाहें टिकी हुई है अब यहां से प्रियंका की चुनाव लड़ने की प्रबल संभावना जताई जा रही है उनके नहीं रहने पर पार्टी किसी ब्राह्मण अथवा दलित चेहरे पर दाव लगा सकती है। अमेठी में राहुल गांधी के नहीं लड़ने पर पिछड़े वर्ग के युवा चेहरे को उतारा जा सकता है चर्चा यह भी है कि यहां से वरुण गांधी को निर्दल उतार कर सपा और कांग्रेस समर्थन कर सकती है। वहीं अमेठी और रायबरेली को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच अपने अपने दावे किए जा रहे हैं।