आज चैत्र नवरात्रि का 5वां दिन है। इस दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। स्कंदमाता की पूजा संतान प्राप्ति के लिए की जाती है। स्कंदमाता की पूजा करने से जीवन आनंदमयी और सुखद होता है। स्कन्दमाता के नाम का अर्थ है- स्कंद कुमार की माता। भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय को स्कंद कुमार कहा जाता है। इस तरह से माता पार्वती को ही स्कन्दमाता कहा जाता है।
#WATCH | Delhi: Morning Aarti being performed on the fifth day of Navratri at Shri Aadya Katyayani Shakti Peeth (Chhattarpur Temple) in Chhattarpur. pic.twitter.com/9iJXfKCSsR
— ANI (@ANI) April 13, 2024
बताया जाता है कि स्कंदमाता को पीले वस्त्र पहनाकर ही पूजा की जाती है। स्कंदमाता को केले का भोग लगाया जाता है। माता को घर बनी मिठाई का भी भोग लगाया जाता है। पीला रंग स्कंदमाता के लिए शुभ माना जाता है।
एक शुद्ध और साफ़ स्थान में स्कंदमाता की मूर्ति रखकर पूजा करनी चाहिए। पूजा स्थल को स्वच्छ और पवित्र रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। पूजा की शुरुआत में कलश स्थापित करें। कलश में पानी भरकर उसमें एक नारियल, पुष्प, मोली, सुपारी, धातू और गंगा जल रखें। इसके बाद स्कंदमाता की आरती और मंत्रों का जाप करें। स्कंदमाता के लिए ‘ॐ देवी स्कंदमातायै नमः’ या ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये स्कंदमात्रे देव्यै नमः’ मंत्र का जाप करते हैं।
#WATCH | Tamil Nadu: Theemithi festival, also known as 'firewalking' was celebrated in Tharangambadi of Mayiladuthurai district. (12.04) pic.twitter.com/tMqr3jLySK
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पूजा के समय स्कंदमाता को पुष्प चढ़ाएं। फूलों की माला बनाकर उसे देवी के पैरों के समीप रखें। अन्न और मिठाई का प्रसाद बनाकर देवी को भोग लगाए। फिर प्रसाद को अपने परिवार या पूजा में शामिल लोगों को बांट दें।
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंदमाता,
पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सब के मन की जानन हारी,
जगजननी सब की महतारी।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं,
हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा,
मुझे एक है तेरा सहारा।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा,
कई शहरों में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे,
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो,
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे,
करें पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए,
तुम ही खंडा हाथ उठाएं।
दास को सदा बचाने आईं,
चमन की आस पुराने आई।