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कलकत्ता HC ने RG कर अस्पताल में तोड़फोड़ पर राज्य सरकार को लगाई फटकार

Calcutta High Court: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर की रेप कर हत्या करने के बाद लोगों का प्रदर्शन जारी है। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल में डॉक्टरों पर हमला किया, जिसका कलकत्ता हाईकोर्ट ने खुद ही संज्ञान लिया है।
Calcutta High Court

Calcutta High Court: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर की रेप कर हत्या करने के बाद लोगों का प्रदर्शन जारी है। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल में डॉक्टरों पर हमला किया, जिसका कलकत्ता हाईकोर्ट ने खुद ही संज्ञान लिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या सबूतों को मिटाने के लिए घटना स्थल की मरम्मत करना इतना जरूरी था। साथ ही अदालत ने आरजी कर मेडिकल अस्पताल में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों पर हुए हमलों को लेकर भी राज्य सरकार पर सवाल उठाया।

राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने हाई कोर्ट के द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी, लेकिन 5000 से 7000 लोगों की भीड़ ने आगे बढ़ते हुए अवरोधकों को तोड़ दिया। इस दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।

इस पर मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगनम और न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने इसे खुफिया जानकारी हासिल करने में पुलिस की नाकामी बताया और कहा कि अगर एक जगह पर 7,000 लोग इकट्ठा हो जाते हैं तो यह मानना मुश्किल होता कि राज्य पुलिस को पता नहीं था। आप किसी भी कारण से सीआरपीसी की धारा 144 का आदेश पारित करते।

खंडपीठ ने कहा कि राज्य पुलिस को पूरे इलाके की घेराबंदी कर देनी चाहिए थी। यह राज्य की मशीनरी की पूरी तरह से विफलता है। क्या इस बर्बरता को रोका जा सकता था, यह सवाल बाद में आता है। सभी सुविधाओं को तोड़ने का क्या कारण हो सकता है?

न्यायमूर्ति शिवगनम की अध्यक्षता वाली पीठ ने जूनियर डॉक्टर से रेप एवं हत्या वाली जगह पर मरम्मत के सवाल को लेकर भी राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया। पीठ ने राज्य सरकार से उन आरोपों पर जवाब देने को कहा, जिसमें अपराध स्थल से सबूत मिटाने के लिए नवीनीकरण का काम करने का आरोप लगाया गया है।

इस पर पश्चिम बंगाल की ओर से पेश वकील ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा, “ये सभी आरोप कि पीओ (घटनास्थल) को ध्वस्त कर दिया गया है, नष्ट कर दिया गया है… सही नहीं हैं। जो विध्वंस कार्य हुआ, वह पीओ के पास नहीं था।” राज्य के वकील ने कहा कि नवीनीकरण का काम डॉक्टरों के एक शौचालय के लिए था। हालांकि, अदालत ने इस कदम के समय पर सवाल उठाया।

न्यायालय ने कहा, “आखिर इतनी जल्दी क्या थी? आप किसी भी जिला न्यायालय परिसर में जाइए, देखिए कि महिलाओं के लिए कोई शौचालय है या नहीं! मैं यह जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं। पीडब्ल्यूडी ने क्या किया है? हम मरीजों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर देंगे और (आरजी कर) अस्पताल को बंद कर देंगे। यही सबसे अच्छा होगा।”


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