Adani Dharavi Slum Redevelopment Project: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को धारावी पुनर्विकास परियोजना पर यथास्थिति लागू करने से इनकार कर दिया। यह याचिका दुबई स्थित सेकलिंक टेक्नोलॉजीज द्वारा दायर की गई थी, जिसमें महाराष्ट्र सरकार द्वारा धारावी पुनर्विकास परियोजना को अडानी समूह को दिए जाने को चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या था?
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि अडानी समूह की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने प्रस्तुत किया कि परियोजना में महत्वपूर्ण धनराशि का निवेश किया गया है और 2,000 से अधिक श्रमिकों को रोजगार दिया गया है। हालांकि, न्यायालय ने सेकलिंक्स की याचिका की जांच करने पर सहमति व्यक्त की और महाराष्ट्र सरकार और अडानी समूह को नोटिस जारी किए।
बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला क्या था?
दिसंबर 2024 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक नए टेंडर के तहत अडानी समूह को दी गई परियोजना को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया कि टेंडर जारी करने के लिए जिम्मेदार राज्य प्राधिकरण इसकी आवश्यकताओं का आकलन करने के लिए सबसे उपयुक्त था। हाईकोर्ट ने सेकलिंक के दावों को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि कंपनी के प्रस्तुत आधारों में योग्यता का अभाव है। सेकलिंक को दिया गया प्रारंभिक टेंडर बाद में रद्द कर दिया गया और अक्टूबर 2022 में एक नया टेंडर जारी किया गया, जिसमें कथित तौर पर अडानी समूह को सबसे अधिक बोली लगाने वाले के रूप में चुना गया।
सेकलिंक टेक्नोलॉजीज का तर्क क्या है?
सेकलिंक का तर्क है कि 2022 का टेंडर उसकी भागीदारी को बाहर करने के लिए बनाया गया था। महाराष्ट्र सरकार ने परियोजना में रेलवे की जमीन को शामिल करने के अपने फैसले के मद्देनजर 2022 में एक नया टेंडर जारी किया। आज, सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट से सहमति जताई कि रेलवे की जमीन के विकास को अब परियोजना में शामिल कर लिया गया है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने सेकलिंक की इस दलील पर ध्यान दिया कि नई निविदा में उनकी भागीदारी को बाहर करने के लिए कुछ शर्तों को बदल दिया गया था और कहा कि वह इस मामले की जांच करेगी।