अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने 24 नवंबर को आदेश सुरक्षित रखा लिया है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सोमवार 27 नवंबर को तक लिखित दलीलें जमा करवाने को कहा है। सुनवाई में याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे वकील प्रशांत भूषण ने मांग की कि अडानी के शेयर में हुए निवेश की जांच हो। साथ ही कहा कि किसे क्या फायदा मिला इसका भी जायजा लिया जाना चाहिए। वहीं सेबी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने सभी पहलुओं की जांच पहले ही कर ली है।
बेंच में जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वकील प्रशांत भूषण से पूछा कि शीर्ष अदालत अडानी समूह की कंपनियों पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को कैसे ‘विश्वसनीय’ मान सकती है। सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि शीर्ष अदालत को ‘हमारी जांच एजेंसियों’ पर भरोसा करना होगा कारण भूषण ने सेबी द्वारा की गई जांच की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि हमारे पास सेबी की जांच पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। सेबी एक वैधानिक निकाय है जिसे शेयर बाजार के उल्लंघनों की जांच करने का काम दिया गया है। क्या उच्चतम न्यायालय के लिए यह उचित है – बिना किसी सामग्री के – हमारी खुद की एक एसआईटी का पुनर्गठन करना ?
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए भूषण ने शीर्ष अदालत से अडानी-हिंडनबर्ग विवाद की जांच के लिए किसी अन्य एसआईटी या विशेषज्ञों के समूह के गठन का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सेबी द्वारा तैयार जांच रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया गया है। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मिस्टर भूषण, उन्होंने (सेबी) जांच पूरी कर ली है। वे कह रहे हैं कि अब यह उनकी न्यायिक शक्ति में है। क्या सेबी को कारण बताओ नोटिस जारी करने से पहले जांच का खुलासा करना चाहिए?
जांच के तहत संस्थाओं को सुनवाई का अवसर दिए बिना सेबी अपराध का आरोप नहीं लगा सकती। सुनवाई के दौरान सेबी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बाजार नियामक समय विस्तार की मांग नहीं कर रहा है और 24 में से 22 जांच को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है। शेष दो मामलों के संबंध में उन्होंने कहा कि रिपोर्ट अंतरिम प्रकृति की है और सेबी ने विदेशी एजेंसियों से जानकारी मांगी है और उसका ‘समय सीमा पर कोई नियंत्रण’ नहीं है।
सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार और सेबी को भविष्य में निवेशकों के नुकसान को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए। मुख्य कारणों में से एक जिसके कारण हमें हस्तक्षेप करना पड़ा – वह शेयर बाजार की अत्यधिक अस्थिरता है जिससे निवेशकों को नुकसान हुआ। सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने मेहता से पूछा कि अब, शॉर्ट सेलिंग के कारण इस तरह की अस्थिरता से बचाने के लिए सेबी क्या करना चाहती है, जिससे निवेशकों का नुकसान होता है। मेहता ने कहा कि शॉर्ट-सेलिंग से जुड़े मामलों में कानून के मुताबिक सेबी कानूनी कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा, “जहां भी हमें शॉर्ट सेलिंग दिखेगी, हम कार्रवाई करेंगे और हम कार्रवाई कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर भी कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि आप अदालत से – बिना किसी सबूत के – एसबीआई और एलआईसी की जांच का निर्देश देने के लिए कह रहे हैं। क्या आपको इस तरह के निर्देश के प्रभाव का एहसास है? क्या यह कॉलेज में होने वाली कोई बहस है? पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।