केपीएमजी एश्योरेंस एंड कंसल्टिंग सर्विसेज एलएलपी की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि, भारत दुनिया में तंबाकू का उपयोग करने वाली आबादी में दूसरे स्थान पर है, जिसमें 27 प्रतिशत भारतीय वयस्क शामिल हैं। इसमें खैनी, गुटखा, सुपारी तंबाकू, जर्दा, बीड़ी, सिगरेट और हुक्का जैसे उत्पाद शामिल हैं।
भारत में धूम्रपान करने के कारण हर साल औसतन 10 लाख लोगों की मृत्यु होती है। इस आंकड़ें में पिछले 30 वर्षों में 58.9 फीसदी का इजाफा हुआ है। जहां भारत में तम्बाकू पीने के कारण 1990 में 6 लाख लोगों की जान गई थी, वो संख्या 2019 में बढ़कर 10 लाख पर पहुंच गई है। यह जानकारी मई 2021 में अंतराष्ट्रीय जर्नल में सामने आई थी।
वहीं डब्लूएचओ द्वारा जारी एक रिपोर्ट से पता चला है कि दुनिया भर में तंबाकू के इस्तेमाल से हर साल करीब 105.4 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होता है। यह नुकसान तम्बाकू के कारण स्वास्थ्य पर किए जा रहे खर्च और उत्पादकता में आ रही गिरावट के कारण हो रहा है।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तंबाकू के उपयोग का प्रचलन मिजोरम में सबसे अधिक 67 प्रतिशत से लेकर गोवा में सबसे कम 9 प्रतिशत तक है।
रिपोर्ट के मुताबिक, हर छठी महिला तंबाकू का किसी न किसी रूप में सेवन कर रही है। कई महिलाएं जहां मजदूरी करने वाली गुटखा, खैनी, बीड़ी का सेवन कर रही हैं, वहीं कई शौकिया सिगरेट पीने व गुटखा खाना शुरू करने के बाद इसकी लत की शिकार हो गई हैं।