UP Vidhan Sabha Election: यूपी में विधानसभा चुनाव भले ही अभी दूर हैं, लेकिन कांग्रेस ने इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव में मिली जीत की संजीवनी ने उसमें नई जान फूंक दी है। लिहाजा पार्टी विधानसभा चुनाव में अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है। इसके लिए पार्टी कुछ खास तैयारी कर रही है, ऐसा किला बना रही है जिससे कि चुनावी नैया को पार किया जा सके।
दरअसल लोकसभा चुनाव में जिस जातिगत समीकरण ने कांग्रेस को जीत का स्वाद चखाया था, कांग्रेस उसी समीकरण को साधने में जुटी है, जिससे कि संगठन को और मजबूत किया जा सके। इसके लिए पार्टी बड़े स्तर पर अपनी सर्जरी की तैयारी कर रही है। आखिर विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी संगठन में कौन सा बदलाव करने जा रही है।
कांग्रेस संगठन की करेगी सर्जरी! होने वाले हैं ये बड़े बदलाव
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का धाक जमाने के लिए पार्टी एक तरफ जहां कांग्रेस से मुंह मोड़ चुके मुस्लिम, पिछड़े और वंचित समाज के लोगों को जोड़ेगी, तो वहीं निष्क्रिय कार्यकर्ताओं की छंटनी करेगी। कांग्रेस के ऐसा करने के पीछे एक बड़ी वजह भी है। दरअसल लोकसभा चुनाव में इस बार मुस्लिम, पिछड़े और वंचित समाज ने बड़ी संख्या में कांग्रेस को सपोर्ट किया है, जिससे पार्टी का जनाधार भी बढ़ा है।
पार्टी इसी को आधार बनाते हुए प्रदेश में अपने संगठन के विस्तार की योजना बना रही है। सूत्रों की माने तो इसके लिए पार्टी के उन कार्यकर्ताओं को अहम पदों से हटाया जा सकता है जो निष्क्रिय हैं और काम नहीं कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर अल्पसंख्यक विभाग, ओबीसी और अनुसूचित जाति विभाग का भी विस्तार किया जाएगा। इन्हें तीन अलग-अलग हिस्सों में बांटा जा सकता है, जिनके ऊपर पूर्वांचल, पश्चिमी यूपी और मध्य यूपी की जिम्मेदारी होगी। ये तीनों विभाग इन समुदायों के बीच पार्टी संगठन को मजबूत करने का काम करेंगे और बूथ स्तर पर सक्रियता बढ़ाएंगे।
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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने अपनी इस चुनावी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्होंने पार्टी के सभी फ्रंटल संगठनों और पदाधिकारियों के साथ बैठक की है, जिसमें पार्टी को जमीन स्तर तक मजबूत करने और लोगों को कांग्रेस से जोड़ने के लिए सुझा मांगे गए। सूत्रों की माने तो इस बैठक मे ये तय हुआ है कि, कांग्रेस अब मुस्लिमों के साथ दलितों को भी अपने साथ जोड़ने के लिए काम करेगी, क्योंकि ये वोट बैंक अब मायावती से लगभग छिटक सा गया है।
सूत्रों की माने तो पार्टी अपनी इस रणनीति को अमलीजाम पहनाने के लिए समाजसेवी संस्थाओं से मदद लेने की भी तैयारी कर रही है। इन संस्थाओं के जरिए दलित और शोषित वर्ग के लोगों को पार्टी से जोड़ने का काम किया जाएगा और उन्हें पार्टी के बड़े पदों की जिम्मेदारी देकर बड़ा संदेश दिया जाएगा।