उत्तरकाशी में सिल्कयारा सुरंग में पाइप बिछाने का महत्वपूर्ण काम पूरा होने के साथ फंसे हुए 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के बचाव प्रयासों के तहत सुरंग के अंदर एक अस्थायी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई है। किसी भी तरह की परेशानी होने पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से 8 बेड की व्यवस्था की गयी है। डॉक्टरों और विशेषज्ञों की एक टीम तैनात की गई है।
मजदूरों को निकाले जाने के बाद उन्हें अपेक्षित चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं। सिल्क्यारा सुरंग से श्रमिकों को बचाने के बाद उन्हें एयरलिफ्ट करने के लिए चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर एक चिनूक हेलीकॉप्टर तैयार रखा गया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले घोषणा की थी कि सुरंग में पाइप बिछाने का काम पूरा हो चुका है। सीएम धामी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा निर्माणाधीन सुरंग में श्रमिकों के फंसने के 17 दिन बाद यह कार्य जिसमें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा।”बाबा बौख नाग जी के आशीर्वाद, करोड़ों देशवासियों की प्रार्थनाओं और बचाव कार्य में जुटी बचाव टीमों के अथक परिश्रम से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए सुरंग में पाइप बिछाने का काम पूरा हो गया है। जल्द ही सभी मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा”
एक्यूरेट कंक्रीट सॉल्यूशंस के एमडी ने कहा कि बचाव अभियान के तीन-चार चरण हैं। पाइप को बिना किसी बाधा के बहुत सावधानी से अंदर धकेला गया है एक सफलता हासिल की गई है और पाइप आर-पार हो गया है। मजदूरों को बचाने का काम शुरू हो गया है। बचाव अभियान में कम से कम 3-4 चरण हैं। एनडीआरएफ टीमें अंदर घुस गई है। रैंप बनने के बाद मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा।
फंसे हुए 41 श्रमिकों के बचाव की प्रत्याशा में सिल्क्यारा सुरंग बचाव स्थल पर मालाएं लाई गई हैं। 41 श्रमिकों की चिकित्सा के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड़ में भी तैयारी की गई है। फंसे हुए श्रमिकों के परिवार के सदस्यों ने कहा कि वे सरकार के प्रयास से खुश हैं। उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनके परिवार के फंसे लोग बहुत जल्द बाहर आएगें।
सुरंग के प्रवेश द्वार पर एम्बुलेंस, एनडीआरएफ कर्मी, एसडीआरएफ और कई अन्य एजेंसियों को तैनात किया गया है।
इससे पहले आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से चल रहे बचाव और राहत प्रयासों का जायजा लिया। पीएम मोदी ने फंसे हुए श्रमिकों का हालचाल पूछा और मुख्यमंत्री को बचाव कार्यों में शामिल लोगों के साथ उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
सूत्रों ने बताया कि फंसे हुए 41 मजदूरों के परिजनों को तैयार रहने और मजदूरों के कपड़े और बैग तैयार रखने को कहा गया है।
12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा धंस गया जिसका मलबा सुरंग के सिल्कयारा किनारे के 60 मीटर के हिस्से में गिरा जिससे निर्माणाधीन ढांचे के अंदर 41 मजदूर फंस गए।