Bharat Bandh 2024: सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति (SC) और जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर के फैसले के खिलाफ बुधवार को कई संगठनों ने भारत बंद का एलान किया है। इसी बीच समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बुलाए गए ‘भारत बंद’ को अपना समर्थन दिया।
अखिलेश यादव ने कहा कि आरक्षण की रक्षा के लिए जन आंदोलन एक सकारात्मक प्रयास है और यह शोषितों और वंचितों में नई चेतना पैदा करेगा।
‘शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकार है’
सपा प्रमुख ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “आरक्षण की रक्षा के लिए जन आंदोलन एक सकारात्मक प्रयास है। यह शोषितों और वंचितों में नई चेतना पैदा करेगा और आरक्षण के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ के खिलाफ जनशक्ति का कवच साबित होगा। शांतिपूर्ण आंदोलन एक लोकतांत्रिक अधिकार है।”
सपा प्रमुख ने कहा कि अगर सरकार घोटालों और घोटालों के जरिए संविधान और लोगों के अधिकारों से छेड़छाड़ करती है तो जनता को सड़कों पर उतरना होगा। उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने पहले ही चेतावनी दी थी कि संविधान तभी कारगर होगा जब उसे लागू करने वालों की नीयत सही होगी।
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अखिलेश यादव ने कहा कि जब सत्ता में बैठी सरकारें धोखाधड़ी, घोटाले और घपलेबाजी करके संविधान और उसके द्वारा दिए गए अधिकारों से छेड़छाड़ करेंगी, तो जनता को सड़कों पर उतरना पड़ेगा। जनांदोलन बेलगाम सरकार पर लगाम लगाते हैं।
वहीं, बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बुलाए गए ‘भारत बंद’ (Bharat Bandh 2024) को अपना समर्थन दिया है। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि इन समूहों के लोगों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ गुस्सा और आक्रोश है।
बता दें, ‘आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति’ आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का विरोध करने के लिए आज एक दिवसीय भारत बंद का आयोजन कर रही है। दरअसल, देश की सबसे बड़ी अदालत ने 1 अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि राज्यों के पास एससी और एसटी को उप-वर्गीकृत करने की शक्ति है।
सर्वोच्च न्यायालय के 7 न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि अब अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण, अनुसूचित जाति श्रेणियों के भीतर अधिक पिछड़े लोगों के लिए अलग से कोटा प्रदान करना स्वीकार्य होगा।
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कोर्ट ने कहा कि अब राज्य सरकार पिछड़े लोगों में भी अधिक जरूरतमंदों को फायदा देने के लिए सब कैटेगरी बना सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि उप-वर्गीकरण (सब कैटेगरी) की अनुमति देते समय राज्य किसी उप-श्रेणी के लिए 100 फीसद आरक्षण निर्धारित नहीं कर सकता।
साथ ही, राज्य को उप-श्रेणी के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के संबंध में अनुभवजन्य आंकड़ों के आधार पर उप-वर्गीकरण को उचित ठहराना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘हालांकि आरक्षण के बावजूद निचले तबके के लोगों को अपना पेशा छोड़ने में कठिनाई होती है। इस सब-कैटेगरी का आधार यह है कि एक बड़े समूह में से एक ग्रुप को अधिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है।’
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कही थी ये बात
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि ‘यहां छह मत हैं। हम में से ज्यादातर ने ईवी चिन्नैया के मत को ख़ारिज कर दिया है और हमारा मानना है कि सब-कैटेगरी (कोटा के अंदर कोटे) की अनुमति है। जस्टिस बेला त्रिवेदी ने इस पर असहमति जताई है।’
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फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा, ‘एससी/एसटी वर्ग के लोग अक्सर व्यवस्थागत भेदभाव के कारण आगे नहीं बढ़ पाते हैं। एक वर्ग जिस संघर्ष का सामना करता है, वह निचले ग्रेड में मिलने वाले प्रतिनिधित्व से खत्म नहीं हो जाता है।’