उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोक भवन में हुई बैठक में 8 महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार स्वीकृत प्रस्तावों में गन्ना कीमतों में वृद्धि के साथ-साथ गन्ना किसानों को महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करने वाली बहुप्रतीक्षित सेमी कंडक्टर नीति 2024 भी शामिल है।
इसके अलावा राज्य में तीन नए विश्वविद्यालयों को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा, गोरखपुर में मुंडेरा नगर पंचायत का नाम बदलकर चौरी चौरा करने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है।
लोकभवन में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय और चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी। कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने बताया कि पेराई सत्र के लिए प्रदेश की सभी चीनी मिलों (सहकारी क्षेत्र, निगम एवं निजी क्षेत्र) द्वारा क्रय किया गया गन्ना 2023-24, राज्य सलाहित मूल्य (एसएपी) निर्धारित किया गया है।
इसमें गन्ने की शीघ्र पकने वाली किस्मों के लिए एसएपी 350 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 370 रुपये, सामान्य किस्मों के लिए 340 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 360 रुपये और अनुपयुक्त किस्मों के लिए गन्ने का मूल्य 335 रुपये प्रति क्विंटल से क्विंटल से 355 रुपए बढ़ाया गया है।
कैबिनेट बैठक में राज्य में तीन नए निजी विश्वविद्यालयों को भी मंजूरी दी गई। उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि निजी क्षेत्र के तहत नोएडा में जेएसएस यूनिवर्सिटी, लखनऊ में सरोज यूनिवर्सिटी और आगरा में शारदा यूनिवर्सिटी की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि योगी सरकार में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि वर्तमान में, राज्य A++ रैंकिंग में पांच सरकारी और पांच निजी विश्वविद्यालयों का दावा करता है। इसके अलावा A+ रैंकिंग वाले तीन विश्वविद्यालय हैं। राज्य में बड़ी संख्या में ए-रैंकिंग विश्वविद्यालय हैं। योगी सरकार से पहले बी+ रैंकिंग में प्रदेश के सिर्फ तीन विश्वविद्यालय थे।
राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में निजी विश्वविद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होगी। इस कदम से राज्य में शिक्षा की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में योगदान मिलने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में योगी कैबिनेट ने सेमी कंडक्टर नीति 2024 को मंजूरी दे दी है। भारत में यह उद्योग अभी शुरुआती चरण में है। अभी तक केवल गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु ने ही इस पर नीतियां बनाई हैं। उत्तर प्रदेश सेमी-कंडक्टर नीति 2024 अपनाने वाला चौथा राज्य है, जिसे विशेषज्ञ सबसे अच्छी नीति मानते हैं। इस मंजूरी से राज्य में बड़े पैमाने पर महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है। नीति का लक्ष्य उत्तर प्रदेश को सेमीकंडक्टर विनिर्माण क्षेत्र में अग्रणी बनाना है।
कैबिनेट मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि सेमी-कंडक्टर विनिर्माण इकाइयों की स्थापना में निवेश करने वाले औद्योगिक समूहों को भारत सरकार से 80,000 करोड़ रुपये का फंड मिलेगा, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार इस राशि का 75 प्रतिशत योगदान देगी। नीति में उद्योगों को वित्तीय प्रोत्साहन और 200 एकड़ तक की भूमि पर भूमि सब्सिडी के रूप में 75 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान करने के प्रावधान भी शामिल हैं। अब तक 13 कंपनियों ने राज्य में सेमी-कंडक्टर विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने की मंशा जताई है। उद्योगों को पर्याप्त पानी एवं निर्बाध बिजली उपलब्ध करायी जायेगी।
इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश सरकार राष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट के लिए 10 लाख रुपये और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट के लिए 20 लाख रुपये प्रदान करेगी। कुशल कार्यबल उपलब्ध हो यह सुनिश्चित करने के लिए सीएम इंटर्नशिप कार्यक्रम के तहत उद्योग के साथ सहयोग किया जाएगा। इसके अलावा, राज्य के तकनीकी संस्थानों में सेमीकंडक्टर निर्माण से संबंधित प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।
योगी कैबिनेट ने एक अहम फैसले में गोरखपुर के मुंडेरा नगर पंचायत का नाम बदलकर चौरी चौरा करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान प्रसिद्ध चौरी चौरा घटना के शताब्दी वर्ष को चिह्नित करते हुए, विरासत के प्रति सम्मान का भाव दर्शाता है।
इसके अतिरिक्त निजी एमएसएमई इकाइयों और प्लेज पार्कों को विकास प्राधिकरणों के तहत कृषि भूमि के भूमि उपयोग को औद्योगिक में बदलने के लिए रूपांतरण शुल्क से छूट देने के लिए उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम प्रोत्साहन नीति में बदलाव करने की भी मंजूरी दी गई। इसके अलावा कैबिनेट ने मेट्रो रेल, आरआरटीएस (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) और उनकी सभी संपत्तियों को उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 के तहत अधिग्रहण से छूट देने पर भी अपनी मंजूरी दे दी है।