Jagannath Temple: ओडिशा के पुरी में स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 46 वर्षों बाद आज खोला जाएगा। इसके पहले यह 1978 में खोला गया था। ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रत्नभंडार की मरम्मत और गिनती से संबंधित कार्य में अत्यधिक पारदर्शिता और सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया गया है। इससे पहले रत्न भंडार 1905, 1926 और 1978 में खोला गया था और बेशकीमती चीजों की लिस्ट बनाई गई थी।
बीजेपी ने खजाना खोलने का किया था वादा
भाजपा ने ओडिशा में सत्ता में आने पर 12वीं सदी के मंदिर के खजाने को फिर से खोलने का वादा किया था। मंदिर का खजाना आखिरी बार 46 साल पहले 1978 में खोला गया था। रत्न भंडार को दोबारा खोलना राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा भी था।
रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि भी रहेंगे मौजूद
कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि रत्नों की गणना के दौरान रिजर्व बैंक के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने मंदिर प्रबंध समिति के लिए एसओपी जारी की है, और उसी के आधार पर सभी काम किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि रत्नभंडार आखिरी बार सन् 1978 में खोला गया था। 1978 में जब भंडार खोला गया था तो रत्नभंडार के आभूषणों की गणना में लगभग 72 दिन लग गए थे। इस बार रत्नों की गणना में आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाएगा। आधुनिक तकनीक की मदद से इस बार गणना में कम समय लगने की उम्मीद जताई जा रही है। रत्न भंडार की सभी चीजों का डिजिटल डॉक्यूमेंट भी बनाया जाएगा। रत्नों की गणना के कार्य से भगवान के दर्शन के समय में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
सांप करते हैं रखवाली
मिली जानकारी के अनुसार आंतरिक रत्न भंडार से अक्सर सांप के फुफकारने की आवाजें आती रहती हैं। यह भी मान्यता है कि सांपों का एक समूह भंडार में रखे रत्नों की रक्षा करता है। इसीलिए रत्न भंडार को खोले जाने से पहले मंदिर समिति ने भुवनेश्वर से सांप पकड़ने में निपुण दो व्यक्तियों को पुरी बुलाया है, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति में जरूरत पड़ने पर वे तैयार रहें। आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए डॉक्टरों की एक टीम भी मौजूद रहेगी।
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