पश्चिम बंगाल के सबसे लोकप्रिय मशहूर त्यौहार दुर्गा पूजा में हर साल खास और आकर्षक थीम वाले पंडाल बनाए जाते हैं। इसी परंपरा को ध्यान में रखते हुए दम दम भारत चक्र दुर्गा पूजा पंडाल ने इस साल ‘भ्रम’ विषय चुना है। इसमें बंगाली लोक रंगमंच की कठपुतलियां शामिल हैं।
पंडाल में कठपुतलियों और कठपुतली कलाकारों को अपनी कला का प्रदर्शन करते दिखाया गया है। आयोजकों के मुताबिक कठपुतलियां सजावट और खूबसूरती से कहीं ज्यादा होती हैं। इस पंडाल में मां दुर्गा की मूर्ति भी अनोखी शैली में बनाई गई है। ये चार सिरों वाली कठपुतली जैसी दिखती है, जो सभी तरफ देख रही है। पूरे हॉल में कठपुतली कलाकारों को मूर्ति से जुड़े तार खींचते हुए देखा जा सकता है।
कोलकाता में दुर्गा पूजा एक कार्निवल के समान होता है। पूरा शहर रोशनी, संगीत और त्यौहार से जीवंत हो उठता है। दुर्गा पूजा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है। ये पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाने वाला सांस्कृतिक उत्सव है।
दमदम भारत चक्र दुर्गा पूजा के अध्यक्ष ने कहा कि “इसके माध्यम से हम एक इंसान की राय दिखाना चाहते हैं, जो दरअसल भ्रम है। इसका मतलब है कि हम जो सोचते हैं वो वास्तव में नहीं हो रहा है। मेरा मतलब है कि हम सोच सकते हैं कि हम दुनिया पर शासन करते हैं। लेकिन क्या हम दुनिया पर राज करते हैं? हम नहीं करते।”
“आप देखेंगे कि अमूमन नृत्य करने वाली कठपुतली किसी मुखौटे के साथ नहीं होती है। लेकिन यहां मौजूद सभी लोग मुखौटे पहने हुए हैं। मुखौटे देवी-देवताओं के पैटर्न में हैं, जिनकी हम पूजा करते हैं। ये इस बात का भी प्रतीक है कि आप अपने जीवन में चाहे कुछ भी कर लें, लेकिन सर्वशक्तिमान ताकत उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।”
“यहां कठपुतलियों को लाने का सार लोगों को ये समझाना है कि हम अंत में देवताओं के हाथों की कठपुतलियां हैं। इसलिए भगवान जो चाहते हैं वही हम करते हैं। मूल रूप से हम यही कर रहे हैं। हम सभी एक कठपुतली का अभिनय कर रहे हैं। भगवान जो चाहता है, हम वही कर रहे हैं।”
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