इन दिनों नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों की अराधना की जाती है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता का पूजन किया जाता है। स्कंद का अर्थ होता है ज्ञान को व्यवहार में लाते हुए कर्म करना। स्कंदमाता ऊर्जा का वो रूप है जिसकी उपासना से ज्ञान को व्यवहारिकता में लाकर पवित्र कर्म का आधार बनाया जा सकता है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस तरह ये इच्छा शक्ति, ज्ञानशक्ति और क्रिया शक्ति का समागम है। शिव तत्व का मिलन जब त्रिशक्ति के साथ होता है तो स्कंद ‘कार्तिकेय’ का जन्म होता है। माता के इस रूप में उनके गोद में कार्तिकेय विराजमान रहते हैं। माना जाता है कि माता के इस ममतामयी रूप की पूजा अर्चना से बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है।
अत्यंत निराला है स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता का स्वरूप अत्यंत निराला है। इनकी चार भुजाएं हैं। देवी मां एक हाथ से पुत्र स्कंद को गोद में लिए हुए है। इनकी दो भुजाओं में कमल के फूल हैं। एक भुजा ऊपर को उठी हुई है जिससे भक्तों को आशीर्वाद प्रदान कर रहीं हैं। ये कमल के आसन पर भी विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह भी इनका वाहन है। धर्म शास्त्रों में मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है।
स्कंदमाता की उपासना का महत्व
स्कंदमाता को मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि स्कंदमाता भक्तों की समस्त कामनाओं की पूर्ति करती हैं। मां दुर्गा के पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशियां आती हैं। संतान प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। स्कंदमाता की पूजा से भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनकी पूजा से भक्त अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है।
स्कंदमाता का प्रिय भोग
स्कंदमाता को पीले रंग की वस्तुएं सबसे प्रिय हैं। इसलिए उनके भोग में पीले फल और पीली मिठाई अर्पित की जाती है। आप इस दिन केसर की खीर का भोग भी मां के लिए बना सकते हैं।
स्कंदमाता के पूजन में पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ
स्कंदमाता की पूजा में पीले या फिर सुनहरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। मां का श्रृंगार पीले फूल से करें और मां को सुनहरे रंग के वस्त्र अर्पित करें और पीले फल चढ़ाएं। पीला रंग सुख और शांति का प्रतीक माना जाता है और इस रूप में दर्शन देकर मां हमारे मन को शांति प्रदान करती हैं।