राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने अब तक 41 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है जहां विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को वोट डाले जाने वाले हैं। इसके इतर वसुंधरा राजे के समर्थकों को टिकट नहीं मिलने से कुछ कार्यकर्ता नाराज हैं। ऐसा ही कुछ मामला कल मंगलवार को झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिला, जब बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को काले झंडे दिखाए गए। बीजेपी को अभी 159 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करनी है, जबकि कांग्रेस ने भी अब तक किसी नाम का ऐलान नहीं किया है। इसको लेकर कांग्रेस की बैठक चल रही है, जिसमें नामों पर फैसला किया जाएगा। बीजेपी के अंदर शुरू हुई अंदरूनी गुटबाजी से कांग्रेस के लिए टिकट बांटने को लेकर चैलैंज बढ़ गया है।
पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने झोटवाड़ा विधानसभा सीट से विधायक थे और 2018 के विधानसभा चुनाव में हार गए थे. वह पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। अब बीजेपी ने झोटवाड़ा विधानसभा सीट से जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को चुनाव मैदान में उतारा है, लेकिन पार्टी के इस फैसले से राजपाल सिंह के समर्थन नाराज हैं।
भारतीय जनता पार्टी के अंदर टिकट बंटवारे को लेकर चल रही गुटबाजी कांग्रेस के लिए भी बड़ी चुनौती बन गई है, क्योंकि पार्टी के अंदर भी टिकट बंटवारे के बाद गुटबाजी शुरू होने की संभावना बढ़ गई है। सीएम अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। जानकारों का मानना है कि टिकट बंटवारे के बाद दोनों के समर्थकों के बीच खींचतान शुरू हो सकती है। कांग्रेस ने 3 राज्यों के लिए पहली सूची जारी कर दी है। लेकिन राजस्थान के लिए अब तक सूची नहीं जारी हुई है। इसकी वजह अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट की खेमेबाजी ही देरी वजह मानी जा रही है।
कांग्रेस पार्टी राजस्थान के उन मौजूदा विधायकों को टिकट देने के बजाय जीत का फॉर्मूला जानने वालों को ही टिकट देना चाहती है। जिससे सीटों के आंकड़ें कमजोर न पड़े। अशोक गहलोत और सचिन पायलट भी इस बात का जिक्र कर चुके हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि उम्मीदवार के जीतने का माद्दा भी देखा जाएगा और इसी के आधार पर टिकट दिया जाएगा।