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मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर 5 जजों की पीठ का फैसला


सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस की कमेटी मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करेगी। यह फैसला जस्टिस के.एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनाया। हालांकि अदालत ने साफ कर दिया है कि इसकी नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति के पास ही रहेगा। साथ ही 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने एक सर्वसम्मत फैसले में कहा कि यह नियम संसद द्वारा इस मुद्दे पर कानून बनाए जाने तक कायम रहेगा।

5 जजों की संवैधानिक पीठ का फैसला

संवैधानिक पीठ ने मुख्य चुनाव आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली लागू करने की मांग करने वाली याचिका पर फैसला सुनाया है। पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार भी शामिल हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर नेता प्रतिपक्ष मौजूद नहीं हैं तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति संबंधी समिति में शामिल किया जाएगा। साथ ही कहा कि निर्वाचन आयोग को संवैधानिक ढांचे और कानून के दायरे में काम करना चाहिए और वह अनुचित तरीके से काम नहीं कर सकता। अगर निर्वाचन आयोग प्रक्रिया में स्वतंत्र और निष्पक्ष भूमिका सुनिश्चित नहीं करता तो इससे कानून का शासन चरमरा सकता है जो कि लोकतंत्र का आधार है। लोकतंत्र नाजुक है और कानून के शासन पर ‘‘बयानबाजी’’ इसके लिए नुकसानदेह हो सकती है।

कॉलेजियम प्रणाली क्या है ?

यह भारत में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण सुनिश्चित करने की एक प्रणाली है। यह प्रणाली भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों के माध्यम से विकसित हुई है। यह न तो वैधानिक और न ही संवैधानिक निकाय है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) करते हैं और इसमें अदालत के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं। उच्च न्यायालय कॉलेजियम का नेतृत्व उसके मुख्य न्यायाधीश और उस न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश करते हैं। साथ ही इसमें हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों को पहले CJI और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा अनुमोदित किया जाता है, फिर वे नाम सरकार के पास भेजे जाते हैं। उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों की नियुक्ति केवल कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से की जाती है।


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