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दिल्ली वक्फ बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामला: ईडी ने आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया


प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। ईडी ने जावेद इमाम सिद्दीकी, दाऊद नासिर, कौसर इमाम सिद्दीकी, जीशान हैदर और उनकी पार्टनरशिप फर्म स्काई पावर पर आरोप लगाया।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश राकेश सयाल ने मामले को 12 जनवरी, 2024 को संज्ञान के लिए सूचीबद्ध किया है। ईडी ने 5000 से अधिक पृष्ठों की चार्जशीट दायर की है, जिसमें 120 पृष्ठों की अभियोजन शिकायत भी शामिल है।

सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत अगली तारीख तक बढ़ा दी गई है। अदालत ने 11 जनवरी 2024 को तीन आरोपियों की जमानत याचिकाएं सूचीबद्ध की हैं। आरोपियों की हिरासत पर पहले की सुनवाई के दौरान, जीशान हैदर के वकील, अधिवक्ता नितेश राणा ने तर्क दिया कि यह एक तुच्छ मामला है और इसमें ‘कोई अपराध नहीं’ है।

ईडी के मुताबिक मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला 13.40 करोड़ रुपये में जमीन की बिक्री से जुड़ा है। आरोप है कि इस लेन-देन मेंअपराध की आय शामिल थी। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि उन्हें अमानत उल्लाह खान से अवैध धन से संपत्ति की बिक्री और खरीद से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया है।

ईडी के वकील ने कहा था कि कौसर इमाम सिद्दीकी की एक डायरी है जिसमें 8 करोड़ रुपये की एंट्री है। आरोप है कि जावेद इमाम को यह संपत्ति सेल डीड के जरिये मिली थी, उन्होंने संपत्ति 13.40 करोड़ रुपये में बेच दी। जीशान ने जावेद इमाम को नकद पैसे दिए।

आरोपी की हिरासत पर सुनवाई के दौरान जीशान हैदर के वकील नितेश राणा ने दलील दी कि एग्रीमेंट टू सेल (एटीएस) है। नौ करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, 4 करोड़ रु का भुगतान करना है। उन्होंने आगे तर्क दिया था कि जीशान हैदर चार बार जांच में शामिल हुए थे। आरोप सिर्फ इतना है कि उसके पास से एक और एटीएस बरामद हुई है। उन्होंने कहा था कि अमानत उल्ला खान और कौसर सिद्दीकी जमानत पर हैं। उस समय कौसर इमाम सिद्दीकी को गिरफ्तार नहीं किया गया था।

जावेद इमाम सिद्दीकी के खिलाफ एलओसी को संबंधित अदालत ने 8 नवंबर को रद्द कर दिया था। 
वकील ने तर्क दिया कि विधायक अमानत उल्लाह खान, जो मुख्य आरोपी हैं, उसको गिरफ्तार किए बिना ही सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दायर किया गया था। वकील ने तर्क दिया कि इसके बाद एसीबी द्वारा एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

दाउद नासिर के वकील मनीष बैदवान ने दलील दी थी कि उनका अमानत उल्लाह खान से कोई संबंध नहीं है। वकील ने तर्क दिया ईडी को तलाशी के दौरान मेरे परिसर से कुछ नहीं मिला। जावेद इमाम एक एनआरआई हैं और पिछले 15 साल से दुबई में रह रहे हैं। वह दिल के इलाज के लिए भारत आए थे।

जावेद इमाम सिद्दीकी के वकील अर्जुन कक्कड़ ने दलील दी थी कि ईडी जावेद से 15 से ज्यादा बार पूछताछ कर चुकी है।उन्होंने 2021 में एग्रीमेंट टू सेल (एटीएस) जमा किया था। सीबीआई की एफआईआर 2017 की है। उन्होंने जावेद को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार किया क्योंकि उसके खिलाफ एलओसी रद्द कर दी गई थी। 


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