अब तलाक के लिए आपको ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट ने ये व्यवस्था कर दी है कि अगर पति पत्नी का रिश्ता टूट चुका है और उसमें सुलह की कोई गुंजाइश नहीं बची है तो कोर्ट संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत तलाक को मंजूरी दे सकता है. इससे आम जनता को बहुत फायदा मिलेगा.
कोर्ट ने कहा कि शादी में सुलह की कोई भी गुंजाइश नहीं हो तो उसका टूटना ही ठीक है. क्योंकि अगर वैवाहिक विवाद लंबे समय तक चलता रहे तो ऐसे जोड़ो की पूरी उम्र निकल जाती है.
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने ये भी कहा कि वह अपने विशेष अधिकार का प्रयोग करके वैवाहित विवाद में पेंडिंग क्रिमिनल कार्रवाई, गुजारा भत्ते और धारा-498 ए के केस, घरेलू हिंसा के केस भी रद्द कर सकता है.