दुबई के बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी ने अपना एफिडेविड देकर चाय की प्याली में तूफान ला दिया है। यह शपथ पत्र उन्होंने तब दिया है जब महुआ के करीबी रहे जय अनंत देहाद्राई ने सीबीआई और बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे को एक चिट्ठी भेजी थी जिसमें उन्होंने दावा किया था कि दुबई के बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी महुआ मोइत्रा का लोकसभा का लॉगिन का इस्तेमाल कर सांसद में सवाल पूछते थे। इसके बदले महुआ मोइत्रा दर्शन से महंगे तोहफे लिया करती थीं।
दरअसल 15 अक्टूबर को बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को एक चिट्ठी भेजी थी जिसमें शिकायत की गई थी कि महुआ मोइत्रा का लोकसभा का लॉगिन दर्शन हीरानंदानी इस्तेमाल कर रहा है। बिड़ला ने इसको जांच के लिए सांसद की विशेषधिकार समिति के पास भेज दिया जब ये खबर मीडिया और सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोरने लगी तो दर्शन हीरानंदानी को लगा कि अब उनकी गर्दन इस पूरे कांड में फंस सकती है लिहाजा उन्होंने एक शपथ पत्र देकर अपना पूरा कबूलनामा कर लिया कि कैसे महुआ मोइत्रा उनका इस्तेमाल कर रही थीं और उनसे पैसे वसूल रही थीं। जब निशिकांत दूबे ने आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा पैसे लेकर संसद में सवाल पूछती है तो महुआ मोइत्रा इसके खिलाफ कोर्ट चली गईं और उन्होंने निशिकांत दुबे जय अनंत देहाद्राई के खिलाफ मानहानि का दावा ठोक दिया लेकिन दर्शन हीरानंदानी के शपथ पत्र के बाद महुआ मोइत्रा की गर्दन ही पूरे मामले में फंसती हुई नजर आ रही है।
अब महुआ मोइत्रा प्रधानमंत्री कार्यालय पर आरोप लगा रही हैं कि दर्शन हीराचंदानी ने दबाव में आकर उनके खिलाफ शपथ पत्र दिया. महुआ ने हीरानंदानी के शपथ पत्र पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि एफिडेविड कागज के एक सफेद टुकड़े पर है, जिसमें कोई लेटरहेड नहीं है। दो पन्नों का एक प्रेस नोट जारी करते हुए महुआ ने कहा है कि “ऐसे धनी सफल व्यवसायी (हीरानंदानी) जिनकी हर मंत्री और पीएमओ तक सीधी पहुंच है। उन्हें पहली बार के सांसद द्वारा उपहार देने और उनकी मांगों को पूरा करने के लिए क्यों मजबूर किया जाएगा? यह पूरी तरह से तर्कहीन है। यह पत्र पीएमओ द्वारा तैयार किया गया था, न कि दर्शन हीरानंदानी द्वारा।” मोइत्रा ने उन दावों को भी खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया है कि उन्होंने बिजनेसमैन से नकद और उपहार लिए थे।
मोइत्रा ने आरोप लगाया, “पीएमओ ने दर्शन हीरानंदानी और उनके पिता के सिर पर बंदूक तान दी और उन्हें भेजे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए 20 मिनट का समय दिया।” उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें उनके सभी कारोबार पूरी तरह से बंद करने की धमकी दी गई. महुआ मोइत्रा ने आगे आरोप लगाया, ”बीजेपी सरकार बेसब्री से इंतजार कर रही है कि किसी तरह अडानी मुद्दे पर मेरा मुंह बंद कर दिया जाए। यह स्पष्ट रूप से पीएमओ में कुछ आधे-अधूरे लोगों द्वारा तैयार किया गया है, जो भाजपा के आईटी सेल में एक रचनात्मक लेखक के रूप में काम करते हैं “। महुआ ने कहा कि यदि दर्शन हीरानंदानी के पास इतने ही सुबूत थे तो उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी चाहिए थी. महुआ ने ये भी सवाल उठाया कि, “दर्शन हीरानंदानी को अभी तक सीबीआई या एथिक्स कमेटी या वास्तव में किसी भी जांच एजेंसी ने तलब नहीं किया है। फिर उन्होंने यह हलफनामा किसे दिया है?”
आपको बता दें कि महुआ मोइत्रा का यह जवाब हीरानंदानी के हलफनामे के तुरंत बाद आया, जिसमें दावा किया गया था कि तृणमूल कांग्रेस सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के प्रयास में अडाणी समूह के मुद्दे पर सवाल उठाने के लिए उन्हें अपनी लोकसभा का लॉगिन दिया था। दर्शन हीरानंदानी पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर अडानी समूह के बारे में संसद में सवाल उठाने के लिए तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा को पैसे दिए थे। अडानी समूह बिना किसी का नाम लिए पहले ही कह चुका है कि कुछ लोग जानबूझकर अडानी ग्रुप को बदनाम करने की साजिश में लगे हुए हैं। महुआ मोइत्रा पर इस खुलासे के बाद उनकी संसद सदस्यता पर तलवार लटकने लगी है।जिस तरह से इस मामले की जांच संसद की विशेषधिकार समिति को भेजी गई है और महुआ मोइत्रा के दो करीबी लोग अब उनके खिलाफ ही टाल ठोक रहे हैं। ऐसे में महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ना केवल उन्हें अपनी संसद की सदस्तयता गंवानी पड़ सकती है बलकि उनके राजनीतिक कैरियर पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ सकता है। अगर आरोप साबित होते हैं तो खुद उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस उनसे किनारा करने में जरा सी भी देर नहीं लगाएगी। फिलहाल तो राजनीतिक पार्टियों को महुआ मोइत्रा की शक्ल में एक मुद्दा मिल गया है जिसका इस्तेमाल विपक्ष और सत्तापक्ष अपनी-अपनी तरह से करेगा।