‘Saugat e Modi’ Plan: बिहार में विधानसभा चुनाव में अब बस कुछ ही महीने बचे हैं। जाहिर है समय के साथ साथ राजनीति भी तेज होती जा रही है। चुनावी बयार के शुरू होते ही राजनैतिक पार्टियों ने तरकश से तीर निकालने शुरू कर दिये हैं। बीजेपी ने सबसे पहले ‘सौगात ए मोदी’ नाम का एक तीर तरकश से निकाला और फिर उसे छोड़ दिया।
दरअसल, बीजेपी का सौगात ए मोदी किट नामक यह तीर लालू यादव के सबसे पुराने और अचूक कहे जाने वाले एमवाई (मुस्लिम यादव) पर निशाना लगाकर छोड़ा गया है। ईद से ठीक पहले बीजेपी ने ‘सौगात ए मोदी’ किट वाला ये तीर तब चलाया है जब बिहार समेत पूरे देश में मुस्लिम समुदाय वक्फ बिल को लेकर बीजेपी का विरोध कर रहा है।
क्या है ‘सौगात ए मोदी’ किट में
हालांकि बीजेपी की ‘सौगात ए मोदी’ किट सिर्फ बिहार में ही नहीं पूरे देश में बांटी जा रही है। आइए सबसे पहले बताते हैं कि आखिर ईद के मौके पर बांटे जा रही इस ‘सौगात ए मोदी’ किट में आखिर है क्या और ये बांटी क्यों जा रही है और कौन बांट रहा है। बीजेपी की ओर से बांटे जा रही ‘सौगात ए मोदी’ किट में महिलाओं के लिए शूट, पुरूषों के लिए कुर्ता पायजामा के अलावा, दाल, चावल, सेवइयां, सरसों का तेल, चीनी, खजूर और खुशबू को शामिल किया गया है। हर किट की कीमत पांच सौ से छह सौ रूपए तक बताई जा रही है।
बीजेपी ने 25 मार्च को दिल्ली से इस कार्यक्रम की शुरूआत की थी। ‘सौगात ए मोदी’ किट बांटने की जिम्मेदारी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा को दी गई है। योजना ये है कि बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे के 32 हजार कार्यकर्ता देशभर के करीब 32 हजार मस्जिदों में गरीब और जरूरतमंद लोगों में ‘सौगात ए मोदी’ किट बांटेगे। कोशिश है कि हर मस्जिद में कम से कम सौ मुस्लिम जरूरदमंद लोगों में ये किट बांटी जाए।
जरुरतमंद लोगों को मिलेगी किट
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के मुताबिक रमजान और ईद के साथ साथ गुड फ्राइडे, ईस्टर, नवरोज को भी ध्यान में रखा गया है। इस दौरान ‘सौगात ए मोदी’ किट जरूरतमंद लोगों में बांटी जाएगी। वहीं अल्सपंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी यासिर जिलानी ‘सौगात ए मोदी’ किट के बारे में मीडिया से खुलकर बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये अभियान मुस्लिम समुदाय के बीच कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए है। जिलानी के मुताबिक ‘सौगात ए मोदी’ किट के जरिये मुस्लिम समाज को बीजेपी और एनडीए की ओर खींचना है ताकि एनडीए के लिए मुस्लिम समुदाय से राजनैतिक समर्थन जुटाया जा सके।
बीजेपी हालांकि पूरे देश में ‘सौगात ए मोदी’ किट बांटने का अभियान चला रही है लेकिन विधानसभा चुनाव को देखते हुए बिहार में बीजेपी के इस अभियान का खास महत्व देखा जा रहा है। बता दें कि 1990 में राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव बिहार में पहली बार एमवाई यानि मुस्लिम यादव फॉर्मूला लेकर आए थे।
क्या बीजेपी जोड़ पाएगी मुस्लिमों को?
बिहार में मुस्लिम और यादव गठजोड़ वाले समूह की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ये गठजोड़ जिसके साथ हो जाए बिहार की सत्ता की चाबी उसके पास। लालू यादव ने इस गठजोड़ को कायम रखने की अंत अंत तक कोशिश की। अभी भी उन्होंने सबसे ज्यादा इसी गठजोड़ को बनाए रखने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रखा है। बीजेपी लालू यादव के इसी एमवाई गठजोड़ वाले चक्रव्यूह को किसी न किसी तरह तोड़ने की जुगत में है। ‘सौगात ए मोदी’ किट इसी सोच का एक हिस्सा माना जा रहा है। क्योंकि बिहार की राजनीति इसी एमवाई गठजोड़ की इर्द गिर्द घूमती आ रही है। बीजेपी जानती है कि अगर इस बार उसे बिहार विधामनसभा जीतना है तो यहां एमवाई गठजोड़ को हर हाल में तोड़ना होगा। ‘सौगात ए मोदी’ किट इसी सोच की एक कड़ी मानी जा रही है।
एमवाई यानि मुस्लिम और यादव गठजोड़ की इस ताकत को आंकड़ों के माध्यम से समझना जरूरी है। बिहार में 2023 में जारी हुए जातिगत जनगणना के मुताबिक राज्य में 17.7 मुस्लिम और 14.26 फीसदी आबादी यादवों की है। यानि एमवाई गठजोड़ बिहार के कुल वोटरों का 31.9 फीसदी हिस्सा है। और यही एकमुश्त वोटर किसी भी पार्टी को सत्ता में लाने के लिए काफी माना जा सकता है। यही वजह है कि कोई भी पार्टी एमवाई को नजरअंदाज कर बिहार में राजनीति करने की सोच भी नहीं सकती। लालू यादव ने वाई यानि यादव को समुदाय को तो साध रखा है और यादव समुदाय का एकमुश्त वोट लालू यादव की पार्टी को तो जाता रहा है लेकिन मुस्लिम वोटर आरजेडी, कांग्रेस, एआईएमआईएम, जेडीयू, सीपीआई (एमएल) में बंटती रही है।
एनडीए सबको एक साथ लेकर चलना चाहती है- सीएम नीतीश कुमार
बिहार में कांग्रेस की हार जगजाहिर है। नीतीश कुमार ने तो बकायदा रोजा इफ्तार पार्टी कर ये मैसेज देने की कोशिश की कि एनडीए सबको एक साथ लेकर चलना चाहती है। एनडीए के एक और घटक दल के नेता चिराग पासवान ने भी रोजा इफ्तार पार्टी दी। ये अलग बात है कि मुस्लिम उलेमाओं ने इस इफ्तार पार्टी से दूरी बना ली लेकिन नीतीश कुमार ने इस इफ्तार पार्टी में शिरकत जरूर की। बिहार चुनाव फिर से सिर पर है और लालू यादव एमवाई के जरिये फिर से करिश्माई आंकड़ा लाने की जुगत में हैं। अगर बीजेपी की ‘सौगात ए मोदी’ किट काम कर गई और मुस्लिम वोट थोड़ा भी बीजेपी की ओर खिसका तो तस्वीर दूसरी हो सकती है। ये लालू यादव की आरजेडी को भी पता है और बीजेपी को भी।