Indian Olympic Association PT Usha: विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक में ज्यादा वजन होने के बाद डिसक्वालीफाई हो गईं थी। इन सभी आलोचनाओं के बीच भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा ने रविवार को एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि कुश्ती, भारोत्तोलन, मुक्केबाजी और जूडो जैसे खेलों में एथलीटों के वजन प्रबंधन की जिम्मेदारी प्रत्येक एथलीट और उसके कोच की है, न कि आईओए द्वारा नियुक्त मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनशॉ पारदीवाला और उनकी टीम की।
पीटी उषा ने कहा, “आईओए मेडिकल टीम, विशेषकर डॉ. पारदीवाला के प्रति घृणा अस्वीकार्य है और इसकी निंदा की जानी चाहिए।” साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि आईओए मेडिकल टीम पर निर्णय लेने वाले लोग किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी तथ्यों पर विचार करेंगे।
पीटी उषा ने कहा, “आईओए ने कुछ महीने पहले एक मेडिकल टीम नियुक्त की थी, जो एथलीटों की प्रतियोगिता के दौरान और उसके बाद उनकी रिकवरी और चोट प्रबंधन में सहायता करेगी। इस टीम को उन एथलीटों की सहायता के लिए भी बनाया गया था, जिनके पास पोषण विशेषज्ञों और फिजियोथेरेपिस्टों की अपनी टीम नहीं थी।”
29 वर्षीय विनेश फोगाट 100 ग्राम अधिक वजन होने के कारण अपने फ्रीस्टाइल 50 किग्रा स्वर्ण पदक मैच से अयोग्य घोषित होने से हताश हो गईं। अयोग्य घोषित किए जाने से उनकी ओलंपिक उम्मीदें टूट गईं और उन्हें संन्यास की घोषणा करनी पड़ी।
विनेश ने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) में अपील की है, जिसमें क्यूबा की पहलवान युस्नेलिस गुज़मैन लोपेज़ के साथ संयुक्त रजत पदक दिए जाने की मांग की गई है, जिन्हें विनेश के अयोग्य घोषित किए जाने के बाद फाइनल में पदोन्नत किया गया था। अमेरिकी सारा हिल्डेब्रांट ने लोपेज़ को हराकर स्वर्ण पदक जीता। विनेश की अपील पर 13 अगस्त तक फ़ैसला आने की उम्मीद है