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श्रीरामलला के गृह प्रवेश के पूर्व ‘रामलला’ की भव्य शोभायात्रा निकली


तीन दशकों से ज्यादा टेंट में रहने वाले रामलला अब अपने स्थायी भवन में 22 जनवरी को गृह प्रवेश करेगें। पूरा देश अपने प्रभु श्रीराम लला के गृह प्रवेश की एक झलक पाने को बेताब हैं। अस्थाई मंदिर में विराजमान रामलला को सुबह पहले वैदिक मंत्रों से जगाया गया फिर नए मंदिर में पूजन स्थल पर लाकर विराजित किया गया। विराजमान रामलला जब नए मंदिर में पहुंचे तो उनका भव्य अभिनंदन हुआ। पहले उनकी विधिविधान पूर्वक पूजा की गई फिर पालकी पर सवार कर भव्य शोभायात्रा निकाली गई। विराजमान रामलला ने नए मंदिर की परिक्रमा की। पूरे समय मंदिर में वेदमंत्रों से गूंजता रहा।

शोभायात्रा में मुख्य यजमान समेत सैकड़ों की संख्या में वैदिक आचार्य व परिसर में मौजूद भक्त शामिल रहे। पालकी में सवार विराजमान रामलला पर जगह-जगह पुष्पवर्षा की गई। इसके बाद उन्हें पुन: यज्ञमंडप में स्थापित कर अधिवास की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे पहले शनिवार की सुबह अनुष्ठानों का शुभारंभ गणपति पूजन से हुआ। इसके बाद रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:…मंत्र से श्रीराम की स्तुति की गई। इसके बाद मंडप के सारे आवाहित देवताओं का पूजन हुआ।

रामलला के अचल विग्रह को जगाया गया। फिर अधिवास प्रारंभ हुआ। शक्कर, फल, अनाज व पुष्प में रखकर अधिवास की प्रक्रिया पूरी की गई। शाम को मंडप में सभी देवताओं का नित्य की तरह होम-हवन किया गया। भगवान राम के निमित्त 11 हजार मंत्रों का जप भी हुआ। वेद के द्वारपालों ने वेदों का पाठ किया। शनिवार को हुए अनुष्ठान में मुख्य यजमान डॉ़ अनिल मिश्र के अलावा विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार भी मौजूद रहे।


प्राण प्रतिष्ठा की कड़ी में रामलला के अचल विग्रह का औषधियुक्त 81 कलशों के जल से अभिषेक किया गया। इसी क्रम में रामलला के नए प्रासाद यानि महल का अधिवासन किया गया। जल से पूरे महल को स्नान कराया गया। आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि वास्तुशांति की प्रक्रिया में यह अधिवासन किया जाता है। महल के कोने-कोने में देवताओं का वास होता है। द्वार, स्तंभ, ड्योढ़ी, सीढ़ी, पत्थर सब में देवता होते हैं इसलिए सभी को स्नान कराकर वास्तुशांति की प्रार्थना की गई।


शनिवार को पिंडिका अधिवासन हुआ है। इसी पिंडिका के नीचे 11 करोड़ जप के साथ अभिमंत्रित रामयंत्र रखा गया है। उस रामयंत्र में माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शुत्रह्न, सुग्रीव हनुमान व पूरी सेना के साथ रामचंद्र विराजित हैं।


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