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नीतीश कुमार की राजनीति का रुख अब किस ओर


नीतीश कुमार यूं तो हवा का रुख देखकर अपना रुख बदलने में माहिर माने जाते हैं। अब सियासी हलचल बिहार में तेज हो गई है। बिहार की राजनीति में अब किसी भी पल कुछ बड़ा फेर बदल हो सकता है। नीतीश कुमार के पुराने दोस्त जीतन राम मांझी ने कह दिया है कि 31 जनवरी तक जदयू और राजद में फूट तय है। बिहार में सियासी ‘खेला’ चालू है। इस सबके बीच नीतीश कुमार के बेहद करीबी और जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी दिल्ली पहुंच गए हैं। उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी को भी दिल्ली बुला लिया है। ऐसे में सियासी अटकलबाजी का दौर जारी है।

बिहार में फेर बदल अगर होता है तो क्या संभावनाएं बन सकती हैं इस पर विचार करें तो बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में 75 सीटों के साथ राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।

लालू यादव की पार्टी के बाद 74 सीटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर रही। सत्तारूढ़ गठबंधन को लीड कर नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड महज 43 सीटें ही जीत सकी। इनके अलावा, आरजेडी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही कांग्रेस पार्टी के 19 उम्मीदवार चुनाव जीते। भाकपा (माले) ने 12 सीटों पर परचम लहराया। 

दूसरी ओर AIMIM ने 5 सीटें जीती, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने 4 सीटें जीती, विकासशील इंसान पार्टी ने 4, सीपीआई ने 2, सीपीआई-एम ने 2, निर्दलीय एक, लोक जनशक्ति पार्टी ने 1, बहुजन समाज पार्टी ने 1 सीट जीती। वहीं, 2022 में सीटों का गणित बदल गया।

बिहार का मौजूदा गणित

राष्ट्रीय जनता जल के पास अब 79 सीटें हैं। AIMIM के 5 में से 4 विधायक राजद के साथ आ गए। जदयू का भी समीकरण बदल गया। 43 से 45 सीटें हो गईं। वहीं, कांग्रेस 19 पर है, सीपीआई एम-एल 12 पर है, सीपीआई 2 पर है, सीपीआई (एम) 2 पर है, निर्दलीय 1 है। बीजेपी 78 सीटों के साथ राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी है। वहीं हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के पास 4 सीटें हैं। अब AIMIM के पास सिर्फ एक विधायक है।

नीतीश कुमार ने साल 2020 का चुनाव बीजेपी के साथ लड़ा था। बीजेपी ने जहां इस चुनाव में 74 सीटें जीतीं फिर भी 43 सीटें जीतने वाली जदयू के मुखिया नीतीश कुमार को सीएम की कुर्सी पर बैठाया। हालांकि, 2 साल में ही फूट सामने आ गई। इसके बाद नीतीश ने एनडीए का साथ छोड़ दिया।

नीतीश महागठबंधन के साथ गए और फिर से मुख्यमंत्री बन गए। उन्होंने लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री बनाया। अब एक बार फिर बिहार में सियासी उलटफेर की संभावना नजर आ रही है। सियासी ऊंट रात में किसी भी वक्त किसी भी करवट बैठ सकता है।


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